Jharkhand News: मैट्रिक-इंटर परीक्षा परिणाम को ले जैक ने दी बड़ी चेतावनी, कहा- अब नहीं चलेगा कोई बहाना
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने मैट्रिक और इंटर परीक्षा के परिणामों को लेकर चेतावनी जारी की है। 35% से कम परिणाम वाले स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारियों को सिलेबस की प्रगति रिपोर्ट की जांच करने का निर्देश दिया गया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक माहौल, समय पर पढ़ाई और परिणाम में सुधार प्राथमिकता है। कमजोर छात्रों के लिए उपचारात्मक कक्षाएं चल रही हैं ताकि बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकें।

झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने साफ कर दिया है कि आने वाली मैट्रिक और इंटर परीक्षा में फेल या कम अंक आने पर केवल बच्चों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने साफ कर दिया है कि आने वाली मैट्रिक और इंटर परीक्षा में फेल या कम अंक आने पर केवल बच्चों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। 35 फीसद से कम रिजल्ट वाले स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह हर स्कूल की सिलेबस प्रगति रिपोर्ट की वास्तविक स्थिति की जांच करें और जहां लापरवाही दिखे, वहां तुरंत सुधार सुनिश्चित कराएं। इस बार विभाग ने पहले ही चेतावनी देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कोई बहाना नहीं चलेगा।
शैक्षणिक माहौल, समय पर पढ़ाई और परिणाम सुधारना प्राथमिकता
बेहतर शैक्षणिक माहौल, समय पर पढ़ाई और परिणाम सुधारना ही प्राथमिकता है। शिक्षा विभाग की सख्ती और समय से की गई तैयारी से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले बोर्ड परीक्षा में मैट्रिक–इंटर का परिणाम बेहतर आएगा। इस बार करीब आठ लाख बच्चे मैट्रिक व इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
अब जिम्मेदारी शिक्षक और छात्र दोनों की है, ताकि राज्य की परीक्षा व्यवस्था की छवि और मजबूत हो सके। विभाग का स्पष्ट संदेश है कि विषयवार शिक्षक उपलब्ध होने के बावजूद यदि संबंधित विषय का परिणाम खराब होता है तो उस विषय के शिक्षक और स्कूल प्रधान पर सीधे कार्रवाई होगी।
अधिकारी मान रहे हैं कि कमजोर योजना, समय पर तैयारी नहीं होने और रिमेडियल सपोर्ट में देरी के कारण पिछले वर्षों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है।
रिमेडियल क्लास से सुधार की कोशिश
डीईओ विनय कुमार ने बताया कि जिले के दशवीं और इंटर के कमजोर छात्रों के लिए विशेष रिमेडियल कक्षाएं चल रही हैं। हर दिन दोपहर 3 से 4 बजे तक ऐसे छात्रों को पढ़ाया जा रहा है जिनकी उपस्थिति कम है या जो पढ़ाई में पिछड़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष रिमेडियल क्लास परीक्षा से कुछ सप्ताह पहले शुरू की गई थी, इसलिए प्रभाव नहीं दिखा। इस बार पहले ही इसकी शुरुआत कर दी गई है, इससे बच्चों का आत्मविश्वास और प्रदर्शन दोनों बेहतर होंगे।
मालूम हो कि मैट्रिक में पिछले पांच वर्षों में (2021–2025) में पास प्रतिशत 95 प्रतिशत से ऊपर रहा, लेकिन 2024 और 2025 में उसमें थोड़ी गिरावट रही। इंटर का पास प्रतिशत में हर वर्ष उतार-चढ़ाव होता रहा। 2022 में बहुत बेहतर रहा जबकि 2024 में वापस नीचे आया।
कक्षा 1 से 8 तक भी बदली रणनीति
दूसरी ओर प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में भी गुणवत्ता सुधार पर जोर दिया जा रहा है। डीएसई बादल राज ने बताया कि कक्षा 1 से 8 तक प्री-बोर्ड परीक्षा आयोजित की जा रही है। परीक्षा में औसत आने वाले बच्चों को एक माह की स्पेशल कोचिंग दी जाती है।
पिछले वर्ष भी यह पहल की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप औसत बच्चों के रिजल्ट में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वर्षों में मैट्रिक और इंटर का परिणाम कई जिलों में 40–45 प्रतिशत की औसत पर अटका रहा है।
विषयवार परिणाम और उपस्थिति दोनों में कमी पाई गई। जिसके कई कारण थे, इसमें समय पर सिलेबस पूरा न होना, छात्रों की कमजोर आधारभूत तैयारी और रिमेडियल क्लास की देर से शुरुआत बड़े कारण रहे हैं।

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