Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand सहायक आचार्य नियुक्ति में आया अपडेट, कोर्ट ने जेएसएससी से पूछा-किस आधार पर अधिक अंक वाले अभ्यर्थियों को सूची से बाहर कर दिया

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:54 PM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय ने सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया में जेएसएससी से पूछा है कि अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को अंतिम सूची से क्यों बाहर किया गया। याचिकाकर्ताओं ने अनियमितताओं का आरोप लगाया है। अदालत ने जेएसएससी को चयन मानदंडों पर विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है।

    Hero Image

    अदालत ने प्रार्थियों के लिए सीट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सहायक आचार्य (गणित एवं विज्ञान) भर्ती के संशोधित परिणाम में हुई कथित गड़बड़ियों पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को कड़ी फटकार लगाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने जेएसएससी से पूछा है कि किस नियम और तर्क के आधार पर अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को सूची से बाहर कर दिया गया, जबकि उनसे कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को संशोधित सूची में जगह दे दी गई।

    प्रार्थियों के लिए सीट सुरक्षित रखने का निर्देश

    अदालत ने प्रार्थियों के लिए सीट सुरक्षित रखने और कम अंक वालों को संशोधित परिणाम में रखने का आधार और प्रक्रिया किस नियम के तहत अपनाई गई, इसकी जानकारी देने का निर्देश दिया है। इस संबंध में किशोर कुमार एवं अन्य ने याचिका दायर की है।

    प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत को बताया कि प्रारंभिक परिणाम में प्रार्थियों का चयन हुआ था और जिला स्तरीय काउंसलिंग में बुलाकर उनके अंक भी उपलब्ध कराए गए थे।

    लेकिन संशोधित परिणाम जारी होने पर उन्हें सूची से बाहर कर दिया गया, जबकि कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनके कम अंक होने पर वे सूची में रखे गए। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि ऐसे 15–20 से अधिक उदाहरण हैं, जहां कम अंक वाले अभ्यर्थियों को संशोधित सूची में जगह दी गई है।

    जबकि उच्च अंक वाले प्रार्थियों को बाहर कर दिया गया है। अधिवक्ता चंचल जैन ने तर्क दिया कि सभी याचिकाकर्ताओं ने अपने-अपने वर्ग में अधिक अंक प्राप्त किए हैं और टेट भी उत्तीर्ण है, इसलिए उनका सूची से बाहर होना चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।