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    झारखंड विधानसभा चुनाव: दूसरे चरण की रस्साकशी तेज, आधा दर्जन दलबदलू उम्मीदवारों पर कड़ी नजर

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 04:52 PM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी पार्टी बदलकर चुनाव मैदान में हैं। इनमें सीता सोरेन लुईस मरांडी लोबिन हेम्ब्रम हेमला ...और पढ़ें

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    झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी बदलकर चुनाव लड़ रहे आधा दर्जन प्रत्याशियों पर रहेगी नजर।

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के तहत दूसरे चरण के चुनाव में आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी ऐसे हैं, जो इस बार पार्टी बदलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव किसी दूसरी पार्टी से लड़ा था। इस बार किसी और पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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    इनमें से कुछ नेताओं ने जहां पहले ही पार्टी बदल ली थी तो कुछ अपनी टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर दूसरे दलों से चुनाव मैदान में उतर गए।

    चुनाव में इन सभी नेताओं के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें टिकी हैं। जिन नेताओं/नेत्रियों की इस बार पार्टी बदल गई है, उनमें सीता सोरेन, लुईस मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम, हेमलाल मुर्मू, उमाकांत रजक आदि प्रमुख हैं।

    बरहेट से दुमका तक दिग्गजों को टिकट

    हेमलाल मुर्मू ने पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विरुद्ध बरहेट से लड़ा था। इस बार ये झामुमो के टिकट पर अन्य सीट लिट्टीपाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने दिनेश विलियम मरांडी का टिकट काटकर उन्हें इस सीट पर उतारा है।

    मरांडी इसके विरोध में पार्टी और हेमंत सोरेन के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं। इसी तरह, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी लुईस मरांडी को जब दुमका से टिकट नहीं मिला तो झामुमो में सम्मिलित होकर चुनाव लड़ रही हैं। उनकी भी सीट बदल गई है।

    सीता सोरेन पर भी नजर

    • झामुमो ने उन्हें जामा में चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, इस सीट पर लगातार चुनाव जीतने वाली सीता सोरेन को भाजपा ने जामताड़ा में प्रत्याशी बनाया है, जो वर्तमान मंत्री इरफान अंसारी को चुनौती दे रही हैं। सीता सोरेन ने भी इस बार पार्टी बदल ली है।
    • अन्य नेताओं में जेपी पटेल भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता था। इस बारे ये कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ही पाला बदल लिया था।

    रजक-लोबिन और मरांडी भी ठोक रहे ताल

    इसी तरह, चंदनक्यारी में पूर्व मंत्री उमाकांत रजक इस बार झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। एनडीए गठबंधन में यह सीट आजसू को नहीं मिली जिसके कारण उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद वे बागी होकर झामुमो में चले गए।

    पिछला चुनाव झामुमो के टिकट पर जीतने वाले लोबिन हेम्ब्रम हाल के वर्षों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लगातार निशाने पर ले रहे थे। लोबिन अब भाजपा में शामिल होकर बोरियो से ही चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव राजमहल से निर्दलीय लड़ा था।

    राजमहल में झामुमो प्रत्याशी एमटी राजा ने भी पिछला चुनाव आजसू के टिकट पर लड़ा था। इसी तरह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पिछला चुनाव झाविमो के टिकट पर लड़ा था। बाद में उन्होंने भाजपा में अपनी पार्टी का विलय कर लिया था।

    दूसरे चरण की हॉट सीटों का ये है हाल

    • इस चरण में दो ऐसी हॉट सीटें भी इस चरण में हैं, जहां दो महिला प्रत्याशी एक दूसरे के आमने-सामने हैं। रामगढ़ में निर्वतमान विधायक सह आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी को कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी टक्कर दे रही हैं।
    • एक मामले में ममता देवी की सदस्यता चले जाने के बाद हुए उपचुनाव के माध्यम से ही सुनीता को विधायक बनने का मौका मिला है। इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव में ममता ने उन्हें हराया था।
    • इसी तरह, झरिया में कांग्रेस प्रत्याशी सह निवर्तमान विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह टक्कर दे रही हैं।

    जमुआ में दोनों प्रतिद्वंदियों की बदल गई है पार्टी

    दूसरे चरण में एक सीट जमुआ ऐसी भी है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव के दोनों प्रतिद्वंदियों ने अपनी-अपनी पार्टी बदल ली है। दोनों इस बार भी प्रमुख प्रतिद्वंदी में सम्मिलित हैं। जमुआ में केदार हाजरा ने पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता था।

    इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला तो झामुमो की सदस्यता ग्रहण कर उसके सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में सम्मिलित होने वाली मंजू देवी को चुनाव मैदान में उतारा है।

    इस चुनाव में नहीं दिख रही इनकी मुस्कान और तेवर

    संताल और कोल्हान के रण में कई ऐसे बड़े नेता नहीं दिख रहे हैं, जिनका विधानसभा के वर्तमान कार्यकाल के दौरान निधन हो गया। कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह की मुस्कान इस बार बेरमो की जनता को देखने को नहीं मिल रही है।

    इसी तरह, धाकड़ नेता रहे जगरनाथ महतो के तेवर डुमरी में नहीं दिख रहे हैं। मधुपुर में हाजी हुसैन अंसारी की दमदार आवाज वहां की जनता को सुनाई नहीं दे रही है। इन तीनों नेताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

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