Jharkhand में आलिम-फाजिल डिग्री को ले आगे आया अल्पसंख्यक आयोग,कहा - बिहार में है मान्यता फिर झारखंड में पाबंदी ठीक नहीं
झारखंड में आलिम-फाजिल डिग्री की मान्यता पर रोक से मुस्लिम समुदाय निराश है। अल्पसंख्यक आयोग ने सरकार से पाबंदी हटाने का आग्रह किया है, क्योंकि बिहार में यह डिग्री मान्य है और झारखंड के छात्र नौकरी से वंचित हैं। आयोग ने 2003-2023 तक की डिग्रियों की मान्यता बहाल करने और सहायक आचार्य भर्ती का रिजल्ट जारी करने की मांग की है।

झारखंड में आलिम-फाजिल डिग्री की मान्यता को लेकर राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने सरकार से गुहार लगाई है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में आलिम-फाजिल डिग्री की मान्यता पर पाबंदी से मुस्लिम समाज में निराशा व्याप्त है। राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने इससे सरकार को अवगत कराते हुए सकारात्मक निर्णय लेते हुए पाबंदी वापसी की गुहार लगाई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को प्रेषित पत्र में आयोग के अध्यक्ष हिदायतुल्लाह खान ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का पांच नवंबर 2024 का फैसला सिर्फ उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड पर लागू था। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) पर यह लागू नहीं था।
फिर भी शिक्षा विभाग व जैंक के अधिकारी 2003 से अब तक दी गई सभी डिग्रियों को असंवैधानिक बता रहे हैं, जो कानूनन गलत है। बिहार में यही डिग्री पूरी तरह मान्य है। 2023-24 में सैकड़ों झारखंडी छात्र इसी डिग्री पर बिहार में शिक्षक बने, लेकिन राज्य के युवा नौकरी से वंचित हैं।
कई जिलों में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन
जेएसएससी ने 2023 के सहायक आचार्य (भाषा) भर्ती में दस्तावेज सत्यापन पूरा करने के बाद भी आलिम डिग्री वालों का रिजल्ट रोक रखा है। माध्यमिक शिक्षक भर्ती में फाजिल डिग्री वालों को आवेदन तक नहीं करने दिया जा रहा। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, गिरिडीह सहित कई जिलों में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।
आयोग ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि 2003-2023 तक की सभी आलिम-फाजिल डिग्रियों की मान्यता बहाल हो। सहायक आचार्य भर्ती का रोका गया रिजल्ट तुरंत जारी किया जाए।
माध्यमिक शिक्षक भर्ती में फाजिल वालों को शामिल किया जाए। चालू सत्र में विश्वविद्यालय से परीक्षा कराई जाए और बिहार की तरह अलग मदरसा विश्वविद्यालय बने या किसी यूनिवर्सिटी से संबद्धता दी जाए।

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