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    जज पर चिल्लाने वाले वकील ने हाई कोर्ट को दी चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 07:34 PM (IST)

    झारखंड उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता पर न्यायाधीश पर चिल्लाने के आरोप में आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता ने अब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जहाँ मामले की अगली सुनवाई होगी।

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    कोर्ट रूम में हुए विवाद का वीडियो वायरल हो गया था। (फोटो- स्क्रीनग्रैब)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट की पांच जजों की वृहद पीठ में जस्टिस राजेश कुमार और वकील महेश तिवारी के साथ हुए विवाद मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि वकील महेश तिवारी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसके बाद अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद मामले में अगली सुनवाई होगी।

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    चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस आर मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पीठ ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का आरोप तय करते हुए महेश तिवारी से स्पष्टीकरण मांगा था।

    लेकिन उनकी ओर से अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है। हाई कोर्ट की एकलपीठ में एक मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता महेश 

    हाई कोर्ट में होने वाली लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए नोंक-झोंक का वीडियो हो गया था। इसके बाद हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने निर्णय था कि मामले में पांच जजों की पीठ आपराधिक अवमानना का मामला सुनेगी।

    इसके बाद चीफ जस्टिस सहित पांच जजों की पीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पेन ड्राइव के जरिए कोर्ट रूम में पूरे दिन की कोर्ट प्रोसिडिंग की रिकार्डिंग प्रसारित की गई। चीफ जस्टिस ने अधिवक्ता महेश तिवारी से पूछा कि इस मामले में उन्हें कुछ कहना है या सफाई देनी है।

    क्योंकि एकल पीठ में हुए इस कृत्य को प्रथम दृष्टया हम लोग आपराधिक अवमानना मान चुके हैं। कोर्ट आरोप तय करने के लिए बैठी है। इसपर अधिवक्ता महेश तिवारी ने कहा था कि हुजूर हमने कोई गलती नहीं की है। मैंने यह बयान बिल्कुल होश में दिया है।

    हमें इस पर कोई पछतावा नहीं है। इसके बाद अदालत ने आपने आदेश में कहा कि इस कृत्य से न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचा है। किसी भी जज को अंगुली नहीं दिखाई जा सकती है और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचाई जा सकती है।

    इसलिए अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना के तहत आरोप तय किया जा रहा है। हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार 16 अक्टूबर को बिजली बिल बकाया से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहे थे।

    इस दौरान कोर्ट ने कोर्ट पर अन्याय करने की बात कही गई। उसके बाद एक अन्य मामले में कोर्ट की प्रोसिडिंग पूरी नहीं होने पर जज ने स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण से इसकी शिकायत की। तभी अधिवक्ता महेश तिवारी से तीखी नोक-झोंक हुई। जिसका वीडियो वायरल हुआ था।