अमृत सरोवरों से बेहतर हुआ झारखंड का जलस्तर, किसानों की आमदनी में भी हुआ सुधार
झारखंड में अमृत सरोवर योजना के सफल क्रियान्वयन से तालाबों के क्षेत्र में वृद्धि हुई है जिससे राज्य को देश में तीसरा स्थान मिला है। इस सफलता का श्रेय मनरेगा कर्मियों को जाता है। गिरिडीह जिले में तालाबों के जीर्णोद्धार से जल संचयन क्षमता बढ़ी है और किसानों की आमदनी में भी सुधार हुआ है। कर्मचारी संघ ने सरकार से लंबित मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। अमृत सरोवरों के सफल क्रियान्वयन के आधार पर झारखंड में तालाबों के सतह क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। इस पैमाने पर झारखंड को देश में तीसरा स्थान दिया गया है।
आईआइटी, दिल्ली की ओर से हुए सर्वे के आधार पर यह दावा करते हुए मनरेगा झारखंड के अधिकृत एक्स हैंडल पर यह जानकारी भी दी गई है कि तमिलनाडु (91.39%) को प्रथम स्थान, असम (82.62%) को द्वितीय स्थान और झारखंड (55.81%) को देश में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है।
इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए झारखंड राज्य अनुबंध कर्मचारी महासंघ के महासचिव सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि इस सफलता श्रेय झारखंड के तमाम ग्राम रोजगार सेवकों समेत मनरेगा कर्मियों को जाता है, जिनमें लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता और प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी को जाता है।
इन्हीं कर्मियों के अथक प्रयास से मनरेगा में यह मुकाम झारखंड ने हासिल किया है। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष महेश सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार को अब मनरेगा कर्मियों के स्थायीकरण, मानदेय वृद्धि, ग्रेड पे देने, बीमा जैसी लंबित मांगों की पूर्ति कर देना चाहिए।
संघ का एक प्रतिनिधि मंडल इस सफलता के लिए ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय से भी मिलेगा और बधाई देकर लंबित मांगों की पूर्ति के लिए अनुरोध करेगा।
तालाब क्षेत्र में वृद्धि होने से पूरे झारखंड में जल स्तर सुधरा
गिरिडीह जिले में 3,547 तालाब और 704 लिफ्ट सिंचाई परियोजनाएं हैं। इससे जिले में सिंचाई के लिए सतही जल की हिस्सेदारी बढ़ी है। गिरिडीह जिले में नीति आयोग की मदद से 57 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया, जिससे उनकी जल संचयन क्षमता बढ़ी।
ये तालाब अब 67 करोड़ लीटर वर्षा जल संग्रहित कर सकते हैं, जिससे 1,17,625 लोगों को लाभ होगा। जीर्णोद्धार किए गए तालाबों से रबी मौसम के दौरान किसान आलू और गेहूं जैसी फसलें उगा सकते हैं।
क्षेत्र में धान की औसत उत्पादकता 2.0 टन/हेक्टेयर से बढ़कर 2.6 टन/हेक्टेयर हो गई है। फार्म तालाब मालिकों ने औसतन आमदनी में 54,906 रुपये प्रति वर्ष की वृद्धि देखी।
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