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    नौ वर्ष बाद होगी जेटेट परीक्षा, इसलिए आयु सीमा में मिलेगी छूट, और भी कई बदलाव...जानिए विस्तार से

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 09:00 PM (IST)

    राज्य में झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) नौ वर्ष बाद आयोजित होगी। इसलिए इस परीक्षा में सम्मिलित होनेवाले अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दी जाएगी। यह एक बारगी छूट आठ वर्षों की हो सकती है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा प्रस्तावित झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली में इसका प्रविधान किया गया।

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    नौ वर्ष बाद जेटेट की परीक्षा होगी, इसे लेकर तैयारी की जा रही है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । राज्य में झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) नौ वर्ष बाद आयोजित होगी। इसलिए इस परीक्षा में सम्मिलित होनेवाले अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट दी जाएगी।

    यह एक बारगी छूट आठ वर्षों की हो सकती है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा प्रस्तावित झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली में इसका प्रविधान किया गया।

    कैबनेट की अगली बैठक में आ सकता है प्रस्ताव

    नियमावली का प्रस्ताव विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की स्वीकृति के लिए भेजा गया है। नियमावली पर उनका अनुमोदन मिलने के बाद कैबनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव आ सकता है।

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    कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद इस परीक्षा का आयोजन हो सकेगा। इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष होगी।

    वहीं, अधिकतम आयु सीमा वही होगी, जिसे कार्मिक विभाग द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए निर्धारित की गई है।

    प्रस्तावित नियमावली में कहा गया है कि अधिकतम आयु सीमा में सभी अभ्यर्थियों को पिछली पात्रता परीक्षा तथा वर्तमान पात्रता परीक्षा के बीच के अंतराल से एक वर्ष कम की छूट प्रदान की जाएगी।

    इसलिए, यह परीक्षा इस वर्ष होती है तो अभ्यर्थियों को आठ वर्ष की छूट मिलेगी। यदि यह परीक्षा अगले वर्ष हो पाती है तो ऐसी स्थिति में नौ वर्ष की छूट मिलेगी।

    पारा शिक्षकों को अधिकतम आयु सीमा मे मिलेगी छूट

    वहीं, पारा शिक्षकों को अधिकतम आयु सीमा मे छूट उनके अनुबंध की अवधि के बराबर छूट देय होगी। हालांकि अधिकतम आयु 58 वर्ष से अधिक नहीं होगी।

    झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को मिलनेवाले प्रमाणपत्रों की वैधता आजीवन होगी। हालांकि यह वर्तमान में भी लागू है। बताते चलें कि इस नियमावली में परीक्षा का पैटर्न एनसीटीई द्वारा तय मानक के अनुरूप किया गया है।

    साथ ही परीक्षा की कठिनाई का स्तर कुछ आसान किया गया है। वर्ष 2019 की नियमावली में कठिनाई का स्तर कठिन था।

    जिलावार जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की बात करें तो इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह जिलावार भाषा वही होगी, जिसे कार्मिक विभाग ने तय किया है। नियमावली के प्रविधानों के अनुसार, अब अभ्यर्थियों को सभी विषयों में उत्तीर्ण होना अनिवार्य नहीं होगा।