JDU प्रदेश प्रभारी ने खतियान को बताया हेमंत सोरेन का राजनीतिक एजेंडा,बोले- पार्टी की खोई प्रतिष्ठा लाएंगे वापस
झारखंड पहुंचे जदयू के नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी अशोक चौधरी ने झारखंड में 1932 आधारित स्थानीय नीति लागू होने को हेमंत सरकार का राजनीतिक एजेंडा बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के केंद्र से संबंध जगजाहिर हैं। ऐसे में केंद्र से स्वीकृति मिलेगी यह बड़ा सवाल है।

रांची, राज्य ब्यूरो: तीन दिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंचे जदयू के नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी और बिहार सरकार में मंत्री डा. अशोक चौधरी ने झारखंड में 1932 आधारित स्थानीय नीति लागू होने को हेमंत सरकार का राजनीतिक एजेंडा बताया है।
उन्होंने मंगलवार को स्टेट गेस्ट हाउस में पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद मीडिया के एक सवाल पर कहा कि खतियान आधारित स्थानीय नीति तभी लागू हो पाएगी जब केंद्र इसपर स्वीकृति देगी। राज्य सरकार के केंद्र से संबंध जगजाहिर हैं। ऐसे में केंद्र से स्वीकृति मिलेगी या नहीं, यह बड़ा सवाल है। ऐसे में फिलहाल अभी तो यह अधर में है।
डा. चौधरी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार झारखंड में पार्टी की खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाना चाहते हैं। इसी सोच के साथ जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को उन्होंने राज्यसभा भेजने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनावों के लिए धनाठ्य झोला खोल कर बैठे रहते हैं लेकिन उन्होंने पार्टी के पुराने कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजकर साफ संदेश दिया है।
झारखंड में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए उन्हें प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। इसे लेकर उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ लगातार दो दिनों तक मंथन किया। पुराने साथियों को भी पार्टी में वापस लाने के लिए उनसे मुलाकात की है। वे झारखंड में पार्टी को छह माह में नए स्वरूप में लाने का काम करेंगे।
डा. चौधरी ने यह भी कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पार्टी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को सही जानकारी नहीं दी होगी, इसलिए झारखंड में पार्टी की बड़ी हार हुई। अब झारखंड में पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने लायक बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड में नीतीश कुमार का भी दौरा होगा लेकिन पहले पार्टी को इस लायक बनाया जाएगा। पार्टी की वर्तमान परिस्थिति में उन्हें यहां नहीं बुला सकते। झारखंड में महागठबंधन से जुड़ने के सवाल पर कहा कि इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ही लेगा। उन्होंने बिहार की तरह झारखंड में भी जातीय गणना कराने तथा शराबबंदी लागू करने की वकालत की

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