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    चारा घोटाले में लालू यादव और जगन्नाथ की बढ़ीं मुश्किलें

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Tue, 30 May 2017 04:03 PM (IST)

    चारा घोटाले में अदालत ने लालू व जगन्नाथ सहित अन्य आरोपियों को शशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है।

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    चारा घोटाले में लालू यादव और जगन्नाथ की बढ़ीं मुश्किलें

    रांची, जेएनएन। चारा घोटाला में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व जगन्नाथ मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआइ कोर्ट ने दोनों नेताओं सहित अन्य आरोपियों को नौ जून को पेश होने का आदेश दिया है। 

    अदालत ने लालू व जगन्नाथ सहित अन्य आरोपियों को शशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है। इसके लिए अदालत में नौ जून की तारीख निर्धारित की है। अदालत ने चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 64ए/96 मामले में सम्मान किया है। यह मामला देवघर कोषागार से 97 लाख रूपय की अवैध निकासी से संबंधित है। 

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    चारा घोटाला के आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा व झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में मंगलवार को उपस्थित हुए।

    अदालत ने उपस्थित होने को लेकर पूर्व में दोनों के खिलाफ सम्मन किया था। जिस मामले में दोनों उपस्थित हुए हैं, वह चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 68ए/96 से संबंधित है।

    इस मामले में जगन्नाथ मिश्रा व सजल चक्रवर्ती को 30 मई को उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। यह मामला चाईबासा कोषागार से 33 करोड़ रुपये अवैध निकासी से संबंधित है।⁠⁠⁠⁠

     

    चारा घोटाला बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था, जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए थे। सरकारी खजाने की इस चोरी में अन्य कई लोगों के अलावा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पर भी आरोप लगा। इस घोटाले के कारण लालू यादव को सीएम के पद से त्याग पत्र देना पड़ा। लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी लालू ने अपनी जगह अपनी बीबी राबड़ी देवी को कुर्सी सौंप कर स्वयं ही सबसे बड़ा सुबूत पेश कर दिया कि भैंस उनके आगे क्या चीज है वह चारा खाकर सिर्फ़ दूध ही तो देती परन्तु वह दूध की जगह बिहार की जनता को राबड़ी देकर जा रहे हैं।

    लोकसभा में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया और सीबीआई जांच की मांग की गई। सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व उसकी सहयोगी जनता दल जैसी दो-दो दिग्गज पार्टियों के नेताओं और नौकरशाही की मिलीभगत से की गई सरकारी खजाने की इस चोरी की गूंज न सिर्फ़ भारत में बल्कि सात समन्दर पार अमेरिका और ब्रिटेन में भी सुनाई दी, जिससे भारत की राजनीति बदनाम हुई।

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