Itkhori Festival: आज से शुरू हो रहा झारखंड का इटखोरी महोत्सव, जानिए- कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत
Jharkhand Itkhori Festival वर्ष 2015 में स्थानीय सांसद सुनील कुमार सिंंह की पहल पर इटखोरी महोत्सव की शुरुआत हुई थी। पर्यटन विकास के उद्देश्य से इस महोत्सव की नींव रखी गई थी। सनातन जैन और बौद्ध धर्म के संगम स्थल पर यह तीन दिवसीय महोत्सव मनाया जाता है।

चतरा, (संजय शर्मा)। राजकीय इटखोरी महोत्सव आयोजित करने के पीछे सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन उद्देश्य नहीं था, बल्कि झारखंड के चतरा जिले में पर्यटन विकास की उम्मीदों के साथ इटखोरी महोत्सव की नींव रखी गई थी। वैसे तो इटखोरी महोत्सव को राजकीय उत्सव का दर्जा वर्ष 2016 में प्राप्त हुआ था। लेकिन इटखोरी महोत्सव का आयोजन वर्ष 2015 में ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर परिसर में शुरू कर दिया गया था।
नक्सलियों की करतूत के बाद सांसद ने की पहल
चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह के प्रयास से सनातन, जैन एवं बौद्ध धर्म के इस संगम स्थल पर तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन शुरू हुआ था। अब यह जिले का सबसे बड़ा महोत्सव बन गया है। इस महोत्सव के आयोजन के पीछे नक्सलियों द्वारा इस क्षेत्र में दिए गए विस्फोट के दाग को धोना भी बड़ा उद्देश्य था। दरअसल, वर्ष 2014 में मां भद्रकाली मंदिर के रास्ते में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग लगाकर विस्फोट किया था। इसमें एक पुलिस जवान की मौत हो गई थी। इस घटना से प्रशासन और क्षेत्र के लोगों के साथ सांसद सुनील कुमार सिंह भी काफी आहत हुए थे। सांसद ने विस्फोट की घटना के दूसरे दिन इटखोरी पहुंचकर मन में यह संकल्प लिया था कि मां के दरबार में ऐसा उत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसकी प्रसिद्धि देश प्रदेश में फैलेगी।
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पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया नया रूप
मां भद्रकाली की ऐतिहासिक नगरी आज श्रद्धालु भक्तों तथा पर्यटकों की भीड़ से गुलजार है। महोत्सव के वक्त आधी रात तक मंदिर परिसर में उत्साह तथा उमंग का माहौल रहता है। इटखोरी महोत्सव ने मां भद्रकाली मंदिर परिसर के साथ जिले के धार्मिक तथा प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के विकास का भी द्वार खोला है। सरकार द्वारा पर्यटन विकास को लेकर कई योजनाएं संचालित की गई हैं। भद्रकाली मंदिर परिसर के लिए तो पांच सौ करोड़ रुपये के मास्टर प्लान की योजना तैयार की गई है। मास्टर प्लान की योजना के तहत साढे चार करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक म्यूजियम का निर्माण कार्य मंदिर परिसर में जारी है। सवा दो करोड़ रुपये की लागत से बिजली व्यवस्था तथा ढाई करोड़ रुपये की लागत से अतिथिशाला का भी निर्माण कराया जा चुका है।
मां भद्रकाली मंदिर परिसर का संक्षिप्त इतिहास
मां भद्रकाली मंदिर परिसर कालांतर में एक विकसित धार्मिक नगरी थी, जिसके प्रमाण आज भी मंदिर परिसर में अवस्थित अस्थाई म्यूजियम में पुरातात्विक अवशेष के रूप में मौजूद है। लेकिन 12वीं शताब्दी के बाद एक विध्वंस के पश्चात यह धार्मिक नगरी पूरी तरह तबाह हो चुकी थी। छह सौ वर्षों तक दुनिया की नजरों से ओझल रहने के बाद 18वीं शताब्दी में इस धार्मिक नगरी की खोज हुई। इसके बाद धीरे-धीरे मां भद्रकाली मंदिर परिसर को पुन: स्थापित करने का कार्य शुरू हुआ। लेकिन रफ्तार काफी धीमी रही।

वर्ष 1988 में चोरी हो गई मां भद्रकाली की प्रतिमा
वर्ष 1968 में मां भद्रकाली की प्रतिमा चोरी होने तथा कोलकाता से पुन: प्रतिमा वापसी के बाद इस क्षेत्र के लोगों में मां भद्रकाली मंदिर परिसर के प्रति आस्था बढ़ी। वर्ष 1983 में सहस्त्र चंडी महायज्ञ के बाद मंदिर विकास समिति के माध्यम से मंदिर परिसर में विकास के कुछ काम हुए। फिर वर्ष 2007 में वन विभाग के तत्कालीन वन संरक्षक वाइके सिंंह चौहान के प्रयास से पर्यटन विभाग ने मंदिर परिसर में एक करोड़ साठ लाख रुपये की लागत से पर्यटन विकास का काम किया। इसके बाद मां भद्रकाली मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा भी मंदिर के सुंदरीकरण का कार्य युद्ध स्तर पर चला।
कभी भी झारखंड सरकार कर सकती है शिलान्यास
विकास के इतने कार्यों के बावजूद इस ऐतिहासिक धार्मिक नगरी की पहचान इसकी ऐतिहासिकता के अनुसार नहीं मिल पा रही थी। इसी बीच चतरा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने के बाद सांसद सुनील कुमार सिंंह ने वर्ष 2015 में मंदिर परिसर के विकास के उद्देश्य से इटखोरी महोत्सव का आयोजन शुरू किया। एक वर्ष बाद ही वर्ष 2016 में इटखोरी महोत्सव को राज्य सरकार ने राजकीय महोत्सव का दर्जा प्रदान कर दिया। इतना ही नहीं एक वर्ष के बाद वर्ष 2017 में झारखंड सरकार ने मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए छह सौ करोड़ रुपये के मास्टर प्लान की योजना बनाई। वर्तमान समय में मास्टर प्लान की योजना का डीपीआर पूरी तरह तैयार हो गया है। किसी भी वक्त सरकार इस महत्वाकांक्षी मास्टर प्लान की योजना को धरातल पर उतारने के लिए शिलान्यास कर सकती है। मास्टर प्लान की योजना जैसी बनाई गई है हु-ब-हू अगर धरातल पर उतर गई तो यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना लेगा।
आज शाम में इस महोत्सव का होगा उदघाटन
मालूम हो कि प्रथम इटखोरी महोत्सव का उद्घाटन झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था। इस बार इस महोत्सव का उदघाटन 19 फरवरी को मंत्री सत्यानंद भोगता कर रहे हैं। शाम में इसका उदघाटना होगा। इसके बाद तीन दिनों तक इस महोत्सव में विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।

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