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    इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार के बिल का किया विरोध, कहा- यह लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश!

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 04:34 PM (IST)

    झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन नए संविधान संशोधन विधेयकों का विरोध किया है। उन्होंने इन विधेयकों को लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताया है क्योंकि इनके माध्यम से प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री मंत्रियों सांसदों और विधायकों को पद से हटाने का प्रावधान है। अंसारी ने कहा कि यह विधायिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने और जनप्रतिनिधियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास है।

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    इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार के बिल का किया विरोध

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन नए संविधान संशोधन विधेयकों का कड़ा विरोध किया है। इन बिलों के जरिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को पद से हटाने का प्रविधान है, जिसे उन्होंने लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार दिया। उनके अनुसार, यह विधायिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने और जनप्रतिनिधियों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास है।

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    इरफान अंसारी ने कहा, "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनहित के ठोस कदम उठाने के बजाय ऐसे बिल ला रही है, जो लोकतंत्र की नींव को कमजोर करते हैं।

    उन् प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक लोकतंत्र की खूबसूरती हैं। इन्हें कमजोर करना लोकतंत्र पर सीधा हमला है। यह बिल जनता के वोट के अधिकार को कमजोर करते हैं और चुने हुए प्रतिनिधियों को अपमानित करते हैं।

    स्वास्थ्य मंत्री ने सवाल उठाया कि अगर सरकार में हिम्मत है तो वह न्यायपालिका और कार्यपालिका के अधिकारों पर बिल लाए। उन्होंने कहा कि आप ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि वहां एकता है। विधायिका को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

    अंसारी ने कहा कि यह कदम जनता के मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति है। यह बिल न केवल जनप्रतिनिधियों, बल्कि जनता और लोकतंत्र के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, क्या कोई आपको गिरफ्तार कर सकता है? फिर विधायकों और सांसदों को क्यों कमजोर किया जा रहा है?

    यह बिल विधायिका को कमजोर करने की साजिश है, जिससे लोकतंत्र अधूरा हो जाएगा। इरफान अंसारी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे विधायिका को कमजोर करने के बजाय उसे मजबूत करें।