Ranchi: DSP बनने का सपना लिए रिटायर हो रहे झारखंड के इंस्पेक्टर, जेपीएससी के पास अटकी प्रमोशन की फाइल
पुलिस इंस्पेक्टर से डीएसपी में प्रोन्नति की राह देखते-देखते अधिकारी रिटायर होते जा रहे हैं लेकिन उन्हें प्रोन्नति का लाभ अबतक नहीं मिल पाया है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से पूर्व में प्रोन्नत योग्य अधिकारियों की फाइल जेपीएससी को भेजी गई थी। उक्त फाइल में कुछ बिंदुओं पर जेपीएससी ने आपत्ति जताई थी और त्रुटि निराकरण के लिए फाइल लौटाई थी।

राज्य ब्यूरो, रांची। पुलिस इंस्पेक्टर से डीएसपी में प्रोन्नति की राह देखते-देखते अधिकारी सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रोन्नति का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। अधिकारियों की मानें तो प्रोन्नति संबंधित सभी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) में फाइल अटकी हुई है।
अगर प्रोन्नति होती है तो सर्वाधिक फायदा एससी-एसटी संवर्ग से आने वाले अधिकारियों को होगी। इसके बावजूद जेपीएससी शिथिल पड़ा हुआ है। गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से पूर्व में प्रोन्नत योग्य अधिकारियों की फाइल जेपीएससी को भेजी गई थी।
उक्त फाइल में कुछ बिंदुओं पर जेपीएससी ने आपत्ति जताई थी और त्रुटि निराकरण के लिए फाइल लौटाई थी। जेपीएससी ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी, उस त्रुटि का निराकरण कर विभाग से फाइल फिर जेपीएससी को भेजी गई। करीब डेढ़ महीने से अधिक समय हो गया, लेकिन प्रोन्नति के बिंदु पर जेपीएससी निर्णय नहीं ले सका है।
कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य सरकार ने लगाई थी रोक
2019 के बाद से अब तक इंस्पेक्टर से डीएसपी रैंक में प्रोन्नति नहीं हो सकी है। इसका मूल कारण यह है कि बीच में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया और राज्य सरकार ने हर तरह की प्रोन्नति पर रोक लगा दी थी। गत वर्ष राज्य सरकार ने प्रोन्नति की जैसे ही हरी झंडी दी, इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई।
अक्टूबर 2022 में 36 पदों पर प्रोन्नति के लिए जेपीएससी से राज्य सरकार ने अनुशंसा की थी। इसमें बाद में संशोधन हुआ और मार्च 2023 में संशोधित सूची के साथ 93 पदों पर प्रोन्नति की अनुशंसा हुई।
मार्च से अबतक 20 इंस्पेक्टर हो गए सेवानिवृत्त
झारखंड पुलिस एसोसिएशन के प्रांतीय सचिव अक्षय कुमार राम ने बताया कि मार्च 2023 से अब तक 20 इंस्पेक्टर सेवानिवृत्त हो गए। उन्हें समय से प्रोन्नति मिली होती तो वे डीएसपी रैंक से सेवानिवृत्त होते। समय पर प्रोन्नति नहीं होने से अधिकारियों का मनोबल गिरता है। ऐसे अधिकारी असंतुष्ट हैं।
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