लावारिस के सिर में पड़े थे कीड़े, युवक ने डॉक्टर बन इलाज भी किया और नाई बन बाल भी काटें
रिम्स परिसर में मंगलवार को मानवता का परिचय देने वाली एक घटना देखने को मिली। एक टॉली मैन डॉक्टर बन महिला का इलाज किया।
अमन मिश्रा, रांची
रिम्स परिसर में मंगलवार को मानवता का परिचय देने वाली एक घटना देखने को मिली। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स ऑडिटोरियम के सामने एक लावारिस महिला पीड़ा से कराह रही थी। इलाज और खाने के लिए लोगों के सामने गुहार लगा रही थी। महिला कई दिनों से भूखी थी और उसके बालों में कीड़े लगकर सिरे के पीछे वाले हिस्से को खोखला कर रही थी। दिन भर में सैकड़ो लोग वहां से गुजरे लेकिन किसी ने उसकी तरफ नजर तक नहीं डाली। दोपहर में रिम्स के ही एक शव वाहक (ट्रॉली मैन) दीपक की नजर उस महिला पर पड़ी। बिना किसी रिश्ते नाते उसने उसकी मदद की ठानी। वह महिला के पास जाकर उससे बात करने की काफी कोशिश की पर वह दर्द और पीड़ा से परेशान थी। दीपक तुरंत वहां से जाकर उसके लिए खाने का सामान, कीड़े मारने की दवा और अन्य दवाइयां ले आया। दीपक ने उसके पेट भरने के साथ खुद डॉक्टर बनकर उसका इलाज भी किया और कीड़े हटाने के लिए नाई बनकर उसके बाल भी काटें। दीपक को यह सब करता देखने के लिए लोगों की भीड़ भी लग गई लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। दर्द से कराहता देख दिल में जागी मदद की भावना
लावारिस महिला का इलाज करने के बाद दीपक ने बताया कि दोपहर में काम के बाद भोजन के लिए बाहर गया था। वहां से लौटने के क्रम में महिला पर नजर पड़ी। दर्द से कराहता देख दिल में उसकी मदद करने की भावना जागी। तब जाकर उसके लिए दवा और कैंची खरीदकर उसके बाल से कीड़े को हटाया। दीपक ने कहा कि वो भी इंसान है और हम भी इंसान है। अगर इंसान ही इंसान की मदद नहीं करेगा, तो मानवता कैसी। दीपक रिम्स में है शव वाहक
दीपक रिम्स में शव वाहक का काम करता है। इस शख्स की खासियत है कि कोई भी इंसान अगर तकलीफ में है तो यह उनकी तकलीफ कम करने में हर संभव कोशिश करते हैं। पहले भी रिम्स में इन्होंने कई बार मानवता का परिचय पेश किया है। इनकी कमाई की बात करें तो रिम्स से इन्हें इतनी भी कमाई नहीं होती है कि अपने घर परिवार और बच्चे का भरण पोषण कर सके। बावजूद इन्हें कोई भी पीड़ित दिखता है ये उसकी मदद को पीछे नहीं हटते। ----------
रिम्स में लावारिसों के लिए नहीं है अलग से व्यवस्था
रिम्स पूरे राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां पूरे राज्य से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। कई बार परिजन वृद्ध को लेकर इलाज के लिए पहुंचते है और इलाज के दौरान ही लावारिस छोड़ कर चले जाते हैं। अस्पताल में कोई परिजन नहीं होने के कारण मरीज को छुट्टी देकर बाहर छोड़ दिया जाता है। और वे बिना खाए पिए यहां-वहां घूमते रहते हैं। लावारिसों के अलग वार्ड बनने से होगी परेशानी दूर
इन मरीजों के लिए रिम्स में अलग से एक लावारिस वार्ड बनने की पहल की जाए तो सभी को इसका फायदा मिलेगा। कोई भी लावारिस इलाज के अभाव में यहां-वहां नहीं भटकेगा। बेहतर चिकित्सा के साथ उनका भरण पोषण भी बेहतर ढग से होगा। -----------
रिम्स में इलाज के लिए तो सारी सुविधाएं दी जाती ही है। लेकिन कहीं से उन्हें उठाकर लाना और अस्पताल में भर्ती करना यह संभव नहीं है। इसके लिए कई जगहों पर अलग से व्यवस्था की गई है। इनके मदद के लिए समाजसेवी संस्थाएं भी आगे आएं।
-डॉ. डीके सिंह, निदेशक रिम्स
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