Jharkhand News: बस खरीदकर शहर से गांव तक दौड़ाइए, पैसा कमाइए और घर-परिवार चलाइए, हेमंत सरकार करेगी मदद
Mukhyamantri Gram Gari Yojana Jharkhand झारखंड सरकार ने गांव से शहर को जोड़ने के लिए पहल शुरू कर दी है। सभी प्रमंडलों में बस संचालन के लिए मार्ग का नि ...और पढ़ें

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Village Vehicle Scheme केंद्र सरकार के निर्देश पर लगभग ढाई वर्ष पहले तैयार रूरल कनेक्टिविटी स्कीम को अब नए नाम से पुनः लांच करने की तैयारी चल रही है। नया नाम होगा मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। अन्ना की पुरानी योजना के तहत काम बहुत आगे बढ़ गया है और सभी प्रमंडलों में बसों के लिए रूट का निर्धारण किया जा चुका है। निर्धारित बस रूट को लेकर आम लोगों एवं बस संचालकों से आपत्तियां भी मांगी जा चुकी हैं। परिवहन विभाग के वेबसाइट पर निर्धारित मार्गो की जानकारी मिल सकती है जिनमें कुछ मार्ग चालू है तो कुछ बिल्कुल नए हैं।
बसों को चलाने के लिए मार्ग भी कर लिए गए तय
केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछली बार तैयार रूरल कनेक्टिविटी स्कीम को नए नाम से झारखंड में लागू करने को लेकर एक बार फिर प्रस्ताव तैयार कर योजना विभाग को भेजा गया है ताकि बजट में इसकी स्वीकृति ली जा सके। यह प्रस्ताव स्वीकृत भी हुआ तो नाम में बदलाव के अलावा कुछ नया नहीं होगा। पूर्व में निर्धारित योजना के तहत सभी प्रमंडलों में छोटी बसों के संचालन के लिए आयुक्त कार्यालय से मार्ग का निर्धारण किया जा चुका है। इन्हीं मार्गों पर छोटी बसों का संचालन होगा। इनमें से कई मार्ग ऐसे हैं जिस पर अभी तक बसों के संचालन की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा बसों के संचालन में युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से कई नए ऑफर दिए जा रहे हैं। इनमें बसों की खरीदारी में सरकारी सहयोग के साथ रोड टैक्स में भी छूट का प्रविधान किया गया है।
गांव से शहर आना जाना अब भी बड़ी समस्या
मालूम हो कि झारखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां अब भी कई गांवों तक पहुंचना दूभर है। कई इलाकों में जाने के लिए बस सेवाएं नहीं हैं। लोगों को निजी वाहनों के सहारे ही पहुंचना होता है। वहीं, कई ऐसे इलाके हैं जहां शाम चार बजे के बाद कोई बस या वाहन सेवा नहीं है। यहां तक कि रांची से जमशेदपुर जाने के लिए शाम साढ़े सात बजे के बाद लोकल बसें नहीं मिलती हैं। राज्य में इतनी खराब परिवहन सेवा के कारण विशेषकर ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो गांव से शहर आने के बाद लोग दूसरे दिन ही गांव लौट पाते हैं। पहाड़ों और जंगलों से घिरे गांवों में कई जगह सड़कों का भी घोर अभाव है। पहले नक्सली हिंसा की भी समस्या थी। अब हालत पहले से काफी बदल चुके हैं। ऐसे में हर कोई चाहता है कि गांव और शहर के बीच यातायात सेवा बेहतर हो। सरकार भी इस दिशा में अब पहल कर रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।