अमानवीय! मरने के चार दिनों बाद तक वेंटिलेटर पर रख ऐंठते रहे पैसे, FIR के बाद नवजात के शव का हुआ पोस्टमार्टम
हास्पिटल प्रबंधन ने एक मृत बच्चे को चार दिनोंं तक वेंटिलेटर में रखा। शिकायत मिलने पर पुलिस प्रशासन ने नवजात के शव को कब्जे में लेकर गुरुवार को रिम्स में पोस्टमार्टम कराया। डाक्टरों ने स्वजनों को बताया कि बच्चा का शरीर देखकर ही लग रहा है कि इसकी मृत्यु काफी पहले ही हो चुकी है।

जागरण संवाददाता, रांची। अरगोड़ा स्थित लिटिल हार्ट हास्पिटल ने एक मृत बच्चे को चार दिनोंं तक वेंटिलेटर में रखा। लिखित शिकायत मिलने पर पुलिस प्रशासन ने नवजात के शव को कब्जे में लेकर गुरुवार को रिम्स में पोस्टमार्टम कराया।
पोस्टमार्टम करने वाला डाक्टर नवजात का शव देख हैरान रह गए। डाक्टरों ने स्वजनों को बताया कि बच्चा का शरीर देखकर ही लग रहा है कि इसकी मृत्यु काफी पहले ही हो चुकी है। पूरा शरीर सड़ने की स्थिति में है और बदबू भी आ रही है। हालांकि पूरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी जाएगी।
इसके बाद आगे का अनुसंधान चलेगा। पोस्टमार्टम के बाद शव को स्वजनों के हवाले कर दिया गया। इसे लेकर बच्चे के स्वजन अरगोड़ा थाना पहुंचे और पुलिस से पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की।
पुलिस ने बताया कि रिपोर्ट आने में 10-15 दिन का समय लगेगा, उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। पुलिस प्रशासन ने स्वजनों को आश्वस्त किया कि जो भी दोषी होंगे उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
इससे पहले नवजात की मौत के बाद उसके पिता विद्यानगर हरमू निवासी मुकेश सिंह थाने में प्राथमिकी दर्ज करा चुके हैं।
बाइक से शव लेकर निकले पिता
नवजात का पोस्टमार्टम करने के बाद प्रबंधन ने पिता के हाथ में ही बच्चे को थमा दिया। हाथ में शव लेने के बाद पिता दहाड़ मार रोने लगे। इसे देख वहां मौजूद सभी लोगों की आंखे भर आईं।
इसके बाद पिता ने बाइक से ही नवजात को लेकर अरगोड़ा थाने की ओर निकल गए। उन्होंने बताया कि शायद अब पुलिस ही उनकी मदद कर सकेगी। जिस तरह से मृत बच्चे को वेंटिलेटर में रख डाक्टरों ने मानवता को शर्मसार करने वाला काम किया है उसे कभी माफ नहीं किया जाएगा।
मृत बच्चे के इलाज का चलता है खेल
मृत नवजात को इलाज के नाम पर चार-पांच दिनों तक वेंटिलेटर में रख स्वजनों से लाखों रुपये ऐंठने का आरोप अस्पताल प्रबंधन पर लगाया गया है। स्वजनों ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि कई नवजात की जान से खिलवाड़ यहां किया जा रहा है।
मृत नवजात को तब तक वेंटिलेटर में रखा जाता है जब तक उसके शरीर से बदबू नहीं आने लगती। इसके बाद ही बच्चे को वेंटिलेटर से तुरंत निकाल उसे स्वजनों को सौंप दिया जाता है। यह खेल यहां कई वर्ष से चल रहा है, लेकिन इस बार ये रंगे हाथ पकड़े गए हैं।
क्या है पूरा मामला
अरगोड़ा स्थित लिटिल हार्ट न्यूबर्न एंड चाइल्ड हार्ट सेंटर में नवजात शिशु की मौत के मामले में डा आशुतोष और डा सत्यजीत के खिलाफ अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी हुई है। मुकेश सिंह के बयान पर केस हुआ है।
मुकेश ने शिशु की मौत को छिपाकर इलाज जारी रखने और अभिभावकों से पैसे वसूलने का गंभीर आरोप लगाया है। मुकेश सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि उनका बेटा 4 जुलाई को रांची सदर अस्पताल में पैदा हुआ था।
8 जुलाई को उसे इंफेक्शन के कारण बेहतर इलाज के लिए लिटिल हार्ट सेंटर रेफर कर दिया गया। उसी दिन बच्चे को भर्ती कर लिया गया और इलाज शुरू हुआ। अस्पताल ने 15 दिनों तक बच्चे से मिलने नहीं दिया और स्थिति की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। हर दिन डाक्टरों द्वारा दवा और खून की मांग की जाती रही।
जब अभिभावकों ने बच्चे से मिलने की जिद की, तो अस्पताल के मालिक द्वारा उन्हें धमकाया गया। 30 जुलाई को जब अभिभावकों ने बच्चे की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की, तो डाक्टरों ने कहा कि बच्चे को रेफर किया जा रहा है और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने को कहा।
लेकिन जब स्वजनों ने पहले बच्चे को देखने की बात कही तब उन्हें बच्चा सौंपा गया जो मृत था। स्वजनों अनुसार देखने से लग रहा था कि बच्चे की मृत्यु चार से पांच दिन पहले ही हो चुकी थी। लेकिन उसके बावजूद डाक्टर इलाज के नाम पर पैसे लेते रहे।
जांच का जिम्मा पुलिस अधिकारी गौतम कुमार राय को सौंपा गया है। मुकेश सिंह ने मांग की है कि इस अमानवीय कृत्य में शामिल सभी दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो और अस्पताल की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
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