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    अंतरिक्ष यानों की डॉकिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना भारत, इसरो अध्यक्ष बोले- मैं बहुत खुश हूं

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 01:04 PM (IST)

    बीआईटी मेसरा वर्षों से एक उत्कृष्ट संस्थान रहा है। इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि भारत अंतरिक्ष में डाकिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। गगनयान मिशन के तहत भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। चंद्रयान 4 और वीनस आर्बिटर मिशन जैसी योजनाएं भी हैं। कलाम की विंग्स ऑफ फायर से प्रेरणा लेते हुए छात्रों को पूर्ण प्रतिबद्धता और बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।

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    इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन। (फाइल फोटो)

    कुमार गौरव, रांची। बीआईटी मेसरा वर्षों से सर्वाधिक उच्च श्रेणी निर्धारण वाले और उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थानों में से एक रहा है, जो उच्च मानक स्थापित करता है। इसरो में होने के नाते मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि बीआईटी मेसरा के पास राकेट्री और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के पहले भारतीय विभाग की अग्रणी विरासत है।

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    यहां के प्रबंधन और संकाय ने छात्रों को सच्ची शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, ऐसी शिक्षा जो ज्ञान के संचय और अनुभव की सराहना सुनिश्चित करती है। इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा हम सभी इस समय बहुत खुश हैं क्योंकि हमारे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने और पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लौटने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।

    मुझे इसरो में उनके सहयोगी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मैं इस एक्सिओम मिशन से भी बड़े पैमाने पर जुड़ सका। इसरो के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद हमने कुछ महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। स्पैडेक्स मिशन की सफलता के साथ, जिसमें हमने चेजर और टारगेट की सटीक डाकिंग का प्रदर्शन किया, भारत अंतरिक्ष में डाकिंग और अनडाकिंग में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन गया है।

    हमने जनवरी 2025 में ही श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी एफ15 एनवीएस 2 मिशन का 100वां सफल प्रक्षेपण भी किया था। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी हमने उल्लेखनीय प्रगति की है और वर्तमान में हमारे पास तारापुर से शुरू होकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र सहित 8 प्रमुख परमाणु संयंत्रों में 23 परमाणु रिएक्टर हैं। वर्तमान में, हमारे पास 8180 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है...।

    विंग्स ऑफ फायर से सीखा

    मैंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा विंग्स आफ फायर से काफी कुछ सीखा है। जो लोग अपने पेशे के शिखर पर पहुंचना चाहते हैं, उनके लिए पूर्ण प्रतिबद्धता एक महत्वपूर्ण गुण है। यह सच है, मैंने स्वयं इसका अनुभव किया है। बौद्धिक शिक्षा मन को प्रभावित करती हैं जबकि मूल्य आधारित शिक्षा हृदय को प्रभावित करती है।

    व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम कैसे सोचते हैं, कैसे कार्य करते हैं और हम किसमें विश्वास करते हैं। चरित्र की आंतरिक शक्ति विकसित करें। आपको हमेशा ईमानदार और भरोसेमंद होना चाहिए। बड़े सपने देखें और लक्ष्य बनाएं, ऊंचे लक्ष्य निर्धारित करें और उनके लिए काम करें।

    सपने आंतरिक मॉनिटर होते हैं और किसी व्यक्ति के लिए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली उपकरण होते हैं। उन्होंने छात्रों को कल्पनाशील, नवोन्मेषी और रचनात्मक बनने की प्रेरणा दी। जब हम इसरो को देखते हैं, तो पाते हैं कि यह संगठन डॉ. विक्रम साराभाई से शुरू होकर कई पीढ़ियों के नेताओं द्वारा निर्मित है।

    इसरो के कार्यक्रमों की सफलता का श्रेय इसकी खुली कार्य संस्कृति, टीम वर्क, राष्ट्र को व्यक्ति से ऊपर रखने और कई पीढ़ियों के नेताओं के उत्कृष्ट नेतृत्व को जाता है। आपको हमेशा हृदय से नेक होना चाहिए जिससे चरित्र में सुंदरता आती है, चरित्र में सुंदरता घर में सद्भाव लाती है, घर में सद्भाव राष्ट्र में व्यवस्था लाता है और राष्ट्र में व्यवस्था विश्व में शांति लाती है।

    भारत ने सभी सार्क देशों के लाभ के लिए एक उपग्रह उपहार में दिया है 

    भारत लगभग 2 माह पूर्व ही अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यानों की डाकिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। हमारे उपग्रहों ने संचार, मौसम विज्ञान, मानचित्रण, आपदा चेतावनी, टेलीमेडिसिन, टेली शिक्षा, ग्राम संसाधन केंद्र, सुदूर संवेदन, समुद्र विज्ञान, खनिज संसाधन मानचित्रण जैसे कई अनुप्रयोग प्रदान किए हैं।

    भारत ने सभी सार्क देशों के लाभ के लिए एक उपग्रह उपहार में दिया है। भारतीय नाविक प्रणाली में अंतरिक्ष यान का एक समूह है जो विभिन्न क्षेत्रों में देश की सेवा भी कर रहा है। हमारे देश में 9100 ट्रेनों में से 8700 ट्रेनों के लिए रीयल टाइम ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की गई है।

    उपग्रहों ने आपदा चेतावनी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे हजारों लोगों की जान बच रही है। यद्यपि दूरसंचार में हमारी उल्लेखनीय उपलब्धि है, फिर भी 8600 से अधिक ट्रेनों के लिए ट्रैकिंग प्रणाली शुरू की गई है। गूगल के समकक्ष भुवन पोर्टल भी विकसित और तैनात किया गया है।

    वर्तमान में, हम अपने मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान के उन्नत चरणों में हैं, जिसमें हम पहली बार भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाएंगे और उन्हें सुरक्षित वापस लाएंगे। इस कार्यक्रम की दिशा में, पहले मानवरहित मिशन की योजना जल्द बनाई जाएगी।

    मंगल आर्बिटर मिशन में मिली सराहना 

    मंगल आर्बिटर मिशन भी एक बहुप्रशंसित मिशन था, जिसके बारे में हमारे प्रधानमंत्री ने बताया था कि प्रति किमी यात्रा का खर्च ऑटो के किराए से भी कम था और कुल खर्च कई हॉलीवुड फिल्मों से भी कम था। हम पहले प्रयास में ही इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले पहले देश थे।

    भारत ने कुछ वर्षों तक एक ही प्रक्षेपण में सर्वाधिक उपग्रहों (104 उपग्रहों) को कक्षा में स्थापित करने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखा। हमने पहले प्रयास में ही एसआरई 1 में अंतरिक्ष यान कैप्सूल का सफल पुनः प्रवेश भी किया। प्रौद्योगिकी अस्वीकृति के बाद स्वदेशी क्रायोजेनिक विकास एक और सिद्ध विकास है।

    मुझे सी25 क्रायोजेनिक चरण का परियोजना निदेशक होने पर बहुत गर्व है, जहां विकास चरण के दौरान हमारे तीन विश्व रिकार्ड हैं। हमने पिछले वर्ष अपने एलवीएम3 प्रक्षेपण यान का उपयोग कर 72 वाणिज्यिक उपग्रहों को सटीक कक्षाओं में स्थापित करते हुए वन वेब 1 और 2 भी स्थापित किए।

    हमने अपने आदित्य अंतरिक्ष यान को सूर्य के लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। इस प्रकार, हम सूर्य का अध्ययन करने वाला उपग्रह रखने वाला चौथा देश बन गए हैं।

    ये हैं आगामी कार्ययोजना

    • चंद्रयान 4 कार्यक्रम को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और इस मिशन की योजना एक नमूना वापसी मिशन के रूप में बनाई जाएगी
    • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 तक एक वास्तविकता बन जाएगा, अंतरिक्ष में प्रारंभिक माड्यूल 2027 की शुरुआत में ही शुरू हो जाएंगे
    • एक भारतीय को 2040 तक पूरी तरह से स्वदेशी चंद्र मिशन द्वारा चंद्रमा पर उतरना और सुरक्षित वापस लौटना होगा
    • एक वीनस आर्बिटर मिशन को भी मंजूरी दी गई है, जहां हम शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए एक अंतरिक्ष यान भेजेंगे
    • केंद्र सरकार ने एक भारी भार वहन करने वाले अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) को भी मंजूरी दी है
    • इसकी क्षमता एसएलवी3 से 1000 गुना और एलवीएम3 से 4 गुना अधिक है।