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    Indian Railways: इन पांच रेलवे परियोजनाएं पूरी होने से झारखंड और बिहार के कई जिलों को होगा फायदा, कहीं जमीन अधिग्रहण तो कहीं क्लियरेंस के कारण काम रुका

    By Madhukar KumarEdited By:
    Updated: Thu, 31 Mar 2022 08:45 PM (IST)

    Indian Railways रेलवे की पांच ऐसी परियोजनाएं रुकी हुई है जो अगर पूरा हो गया तो ना सिर्फ झारखंड बल्कि बिहार के लोगों को भी काफी फायदा होगा। हालांकि ये परियोजनाएं कहीं जमीन अधिग्रहण को लेकर अटका हुआ है तो कहीं क्लियरें के कारण।

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    Indian Railways: अधर में लटकी है रेलवे की ये पांच महत्वपूर्ण परियोजनाएं।

    रांची, राज्य ब्यूरो। विभिन्न कारणों से राज्य में पांच रेल परियोजनाओं का कार्य अटका हुआ है। जिला व राज्य स्तर पर आयोजित कई बैठकों में भी उसका समाधान नहीं निकल सका। अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इसपर शीघ्र विचार करने को कहा है ताकि लंबित रेल परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। मिली जानकारी के अनुसार इन पांच रेल परियोजना में कहीं जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित है तो कहीं वन क्लियरेंस नहीं मिलने से रेलवे का काम अटका हुआ है। कुछ जगहों पर विधि-व्यवस्था संबंधित परेशानियों के चलते रेल लाइन परियोजनाएं पूरी नहीं हो पा रही है। कुछ ऐसी रेल परियोजनाएं हैं, जिनके पूरा होने से धार्मिक व पर्यटन स्थलों तक भी रेलवे का संपर्क मजबूत हो जाएगा। कोडरमा-तिलैया न्यू ब्राड गेज रेल परियोजना पूरा होने से झारखंड के कोडरमा से बिहार के राजगीर व बाढ़ तक का रेल संपर्क मजबूत हो जाएगा। बिहार के बाढ़ में एनटीपीसी परियोजना तक कोयला आसानी से पहुंच सकेगा। इसी तरह पारसनाथ-मधुबन न्यू ब्राड गेट रेल परियोजना से जैन धर्मावलंबियों के धार्मिक स्थल पारसनाथ-मधुबन का रेल संपर्क हो जाएगा। यह पर्यटन के दृष्टि से भी बेहतर परियोजना है।

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    कौन-कौन सी रेल परियोजनाएं, क्या है पेंच

    कोडरमा-तिलैया न्यू ब्रोड गेज रेल लाइन परियोजना: इस परियोजना के अटकने के पीछे की वजह कोवाबार गांव के पास 700 मीटर गैर मजरुआ भूमि का स्थानांतरण नहीं किया जाना है। इसके एवज में राज्य सरकार केा मुआवजे का भुगतान भी हो चुका है। इस परियोजना को लेकर जिला व राज्य स्तर पर भी कई बार बैठकें हो चुकी है, लेकिन समाधान नहीं निकला। केंद्र ने उक्त भूमि को यथा शीघ्र अधिग्रहित कर रेलवे को सौंपने का अनुरोध किया है।

    पारसनाथ-मधुबन न्यू ब्राड गेज रेल लाइन परियोजना

    इस परियोजना के अटकने के पीछे की वजह 33 गांवों में 184.247 हेक्टेयर भूमि पर वन विभाग का क्लियरेंस नहीं मिलना है। 24 गांवों के रैयती व गैर मजरुआ प्रकृति की 76.87 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण नहीं हो सका है। उक्त भूमि पर वन विभाग का क्लियरेंस भी नहीं मिल सका है, जिसके चलते मामला लंबित है।

    गढ़वा रोड रेल, ओवर रेल परियोजना

    पलामू जिले में गढ़वा रोड स्टेशन पर रेलवे निर्माण के लिए 49.453 एकड़ भूमि का आवेदन 30 जनवरी 2019 को किया गया था। डालटनगंज के डीएलएओ ने 14 मार्च 2019 को प्रस्ताव वापस कर दिया था। इसके बाद 19 जून 2019 को सुधार के साथ प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें चार गांवों के 31 एकड़ रैयती भूमि के लिए 50 करोड़ रुपये का भुगतान प्रक्रियाधीन है। राज्य सरकार से केंद्र ने रेलवे को शीघ्र भूमि अधिग्रहण कर हस्तांतरित करने का आग्रह किया है।

    टोरी-शिवपुर लाइन रेल परियोजना

    धनबाद डिविजन के टोरी-शिवपुर रूट पर विधि-व्यवस्था का संकट है। चतरा व लातेहार के बीच इस रूट पर हत्या व लूट की कई घटनाएं घट चुकी हैं। इस रूट पर कोयला खदान से साइडिंग तक आपराधिक तत्वों के चलते परेशानी है। इस संबंध में झारखंड के डीजीपी को अवगत कराया जा चुका है। वहां से सहयोग का आश्वासन मिला है।

    हंसडिहा-गोड्डा 32 किमी न्यू ब्राड गेट लाइन रेल परियोजना

    यह परियोजना 542.18 करोड़ रुपये की है। जमीन अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है। फारेस्ट क्लियरेंस अब तक पूरी तरह से नहीं मिला है। झारखंड सरकार के हिस्से के शेयर का भुगतान नहीं होने से काम नहीं हो पा रहा है। इस भूमि पर वन विभाग का क्लियरेंस भी अब तक नहीं मिल सका है।

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