रांची के अनगड़ा में वन भूमि पर अवैध कब्जा का चल रहा खेल, अतिक्रमण कर आलीशान होटल बनाने की तैयारी
रांची के अनगड़ा अंचल में वन भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है जहां एक होटल का निर्माण विवादों में है। आरोप है कि होटल के लिए वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है और जमीन का हस्तांतरण भी अवैध है। स्थानीय विधायक और जिला परिषद सदस्य ने उच्च अधिकारियों से शिकायत कर जांच की मांग की है क्योंकि इससे पर्यावरण और आदिवासी समुदायों को खतरा है।

प्रदीप सिंह, रांची। राजधानी रांची से सटे अनगड़ा अंचल में वन भूमि पर अवैध तरीके से कब्जे का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। अनगड़ा अंचल के लेप्सर मौजा में एक आलीशान होटल बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन इसका निर्माण विवादों के घेरे में आ गया है।
होटल के लिए निर्धारित भूमि के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। यह क्षेत्र वन विभाग के महिलौंग रेंज के अंतर्गत आता है, जो पहले भी वन भूमि पर अवैध कब्जों के लिए बदनाम रहा है।
यहां पूर्व में पदस्थापित रहे एक रेंजर ने इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता भी की है। शिकायतों के अनुसार, इस होटल का निर्माण न केवल वन भूमि पर हो रहा है, बल्कि इसका हस्तांतरण भी अवैध और विवादास्पद है।
जमीन अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय की बताई जा रही है, जिसे एक मुस्लिम व्यक्ति से खरीदा गया। बताया जाता है कि प्रभावशाली और दबंगों के डर से जमीन का मूल मालिक पूर्व में ही इलाका छोड़कर भाग चुका है।
इस संबंध में वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और पुलिस महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) को शिकायत की गई है।
स्थानीय विधायक ने उच्चस्तरीय जांच की उठाई मांग
सिल्ली से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक अमित कुमार महतो ने इस सिलसिले में राज्य सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और पुलिस महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) से शिकायत करते हुए जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।
उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि ग्रामीणों ने इस संबंध में उनसे यह शिकायत की है कि अनगड़ा अंचल के लेप्सर मौजा में एक बड़े होटल का निर्माण किया जा रहा है। इसमें बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्जा हुआ है।
वन भूमि के साथ जिस जमीन पर होटल बनाने की तैयारी चल रही है, उसका हस्तांतरण भी विवादास्पद एवं अवैध है। इसमें वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप भी विधायक ने लगाया है।
विधायक ने वन भूमि की लूट और नियमों के उल्लंघन को गंभीर अपराध बताते हुए तत्काल आवश्यक कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया है।
पूरे क्षेत्र में वन भूमि की बड़े पैमाने पर लूट
अनगड़ा (पूर्वी) से जिला परिषद सदस्य राजेंद्र प्रसाद शाही मुंडा ने भी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वन भूमि की लूट की शिकायत उच्च अधिकारियों से की है।
उन्होंने इस संबंध में आईजी, सीआईडी को पत्र लिखते हुए उल्लेख किया है कि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) 1908 की धारा 49 के तहत आदिवासी और अनुसूचित जाति की जमीन की खरीद-बिक्री पर सख्त पाबंदियां हैं।
इसके बावजूद, अनगड़ा के चन्द्राटांली में खाता नंबर 241, प्लाट नंबर 4382, रकबा दो एकड़ की जमीन, जो वकास्त भुईहरी पहनई प्रकृति की है, का अवैध हस्तांतरण किया गया।
विक्रेता परेश मुंडा के पास मात्र 93 डिसमिल जमीन थी, लेकिन पूरे दो एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन कर लिया गया। यह रजिस्ट्रेशन सोनोत एडुकेशन प्राइवेट लिमिटेड, रूपसोना मेडिकल कालेज, हेसल, अनगड़ा के नाम हुआ, जिसमें डॉ. बाबूलाल मुर्मू और उनकी पत्नी सोनोती टुडू शामिल हैं।
यह स्पष्ट रूप से सीएनटी एक्ट का उल्लंघन है, क्योंकि ऐसी जमीन का हस्तांतरण गैरकानूनी है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया है कि गलत रजिस्ट्री करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए रजिस्ट्री निरस्त की जाए और भुईहरी पहनई जमीन को सरकार को समर्पित किया जाए।
अवैध कब्जे और निर्माण कार्य से वनों को नुकसान
अनगड़ा अंचल में वन भूमि पर अतिक्रमण का यह कोई पहला मामला नहीं है। क्षेत्र में भूमि माफिया ने बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्जा कर रखा है। वन विभाग के महिलौंग रेंज में पड़ने वाला यह क्षेत्र पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अवैध कब्जों और निर्माण कार्यों से जंगल और प्राकृतिक संसाधनों को गंभीर नुकसान हो रहा है।
आदिवासी और अनुसूचित जाति समुदायों की जमीन पर अतिक्रमण से इन समुदायों के हितों को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। अगर इस तरह की गतिविधियां नहीं रुकीं तो क्षेत्र की जैव विविधता और आदिवासी संस्कृति को नुकसान होगा।
भूमि माफियाओं का संगठित नेटवर्क सक्रिय है, जो सरकारी तंत्र की मिलीभगत से अपने उद्देश्य में सफल हो रहा है। अब उच्च अधिकारियों की इस संबंध में जांच के परिणाम पर सभी की नजरें टिकी हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।