IIT के इंजीनियरों ने रिम्स प्रबंधन से पूछा- भवन बनने के बाद कभी मरम्मत हुई या नहीं, मांगा ब्लूप्रिंट
रिम्स की पुरानी बिल्डिंग की स्थिति का आकलन करने पहुंचे आइआइटी आइएसएम धनबाद के इंजीनियरों ने पूरे भवन की प्रारंभिक स्थिति देख रिम्स का ब्लू प्रिंट मांगा है ताकि पूरे भवन के निमार्ण कार्य से अवगत हो सके। इंजीनियरों ने प्रबंधन से रिम्स के बेसमेंट में जलजमाव कब से हो रहा है इसकी पूरी जानकारी मांगी है।

जागरण संवाददाता, रांची। रिम्स की पुरानी बिल्डिंग की स्थिति का आकलन करने पहुंचे आइआइटी आइएसएम धनबाद के इंजीनियरों ने पूरे भवन की प्रारंभिक स्थिति देख रिम्स का ब्लू प्रिंट मांगा है ताकि पूरे भवन के निमार्ण कार्य से अवगत हो सके।
टीम अब दोबारा आकलन करने से पहले पूरे नक्शे की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करेगी। इंजीनियरों ने प्रबंधन से रिम्स के बेसमेंट में जलजमाव कब से हो रहा है, इसकी पूरी जानकारी मांगी है।
यह भी जानना चाहा है कि आखिर सिवरेज लाइन की स्थिति क्या है, यह कहां से गुजर रही है। इसकी कभी मरम्मत का कार्य या भवन का जीर्णाेंद्धार किया गया है कि नहीं।
सभी बिंदुओं पर जानकारी मिलने के बाद इंजीनियरों की टीम वस्तुस्थिति से अवगत होगी और जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। बता दें कि बिल्डिंग की स्थिति का आकलन करने के लिए आइआइटी आइएसएम को जिम्मेदारी मिली है।
मालूम हो कि रिम्स की बिल्डिंग 60 वर्ष से अधिक पुरानी हो चुकी है। भवन अधिकतर जगहों पर जर्जर हो चुका है, पिलर टूट रहे हैं, सरिया बाहर निकलने लगे हैं। छज्जा टूट कर नीचे गिर भी रहे हैं।
यही वजह है कि हाल में ही रिम्स प्रबंधन ने सभी विभागों के एचओडी को पत्र लिख जर्जर वार्ड में मरीजों को भर्ती नहीं करने का निर्देश दिया है। लेकिन इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
रिम्स बनने के बाद नहीं हुआ जीर्णोद्धार
रिम्स बनने के बाद पुरानी बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कभी नहीं हुआ। ऐसे में बिल्डिंग का बाहरी और अंदरूनी हिस्सा टूट रहे हैं। बिल्डिंग की मरम्मत के लिए रिम्स ने स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव दिया था।
इसके आधार पर एजेंसी का चयन भी कर लिया गया था। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग ने चयनित एजेंसी को काम शुरू नहीं करने का निर्देश रिम्स को दिया था। अब जब बिल्डिंग की स्थिति और खराब होने लगी है तो इसकी मंजूरी दी गई है।
बिल्डिंग की जर्जर स्थिति और हादसे की संभावना से स्वास्थ्य विभाग को भी है अवगत कराया जा चुका है। करीब चार वर्ष से बिल्डिंग के जीर्णोद्वार की सिर्फ योजना ही बनायी जा रही है।
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