JPSC नियुक्ति में आरक्षण की अनदेखी, दिव्यांग कोटे की पांच सीट पर नियुक्ति नहीं करने का निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में 13वीं जेपीएससी नियुक्ति परीक्षा में दिव्यांग कोटे की सीट भरने के खिलाफ दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने दिव्यांग कोटे की पांच सीटों पर नियुक्ति नहीं करने का निर्देश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार और जेपीएससी को दस सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में 13वीं जेपीएससी नियुक्ति परीक्षा में दिव्यांग कोटे की सीट भरने के खिलाफ दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने दिव्यांग कोटे के पांच सीटों पर नियुक्ति नहीं करने का निर्देश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार और जेपीएससी को दस सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने प्रथम दृष्टया माना कि आरक्षण की अनदेखी हुई है। इस संबंध में राहुल वर्धन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने 342 पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। सभी 342 पद का परिणाम भी जारी कर दिया गया है।
परिणाम सिर्फ 8 दिव्यांगों की ही नियुक्ति की सिफारिश की गई है। नियमों के तहत दिव्यांगों के लिए 13 पद आरक्षित होना चाहिए। सिर्फ आठ पद पर नियुक्ति करना उचित नहीं है ।
प्रार्थी ने आरोप लगाया कि दिव्यागों के शेष पांच पदों पर दूसरे उम्मीदवारों का चयन किया गया है जो गलत है। प्रार्थी ने बताया कि उसने पीटी, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू दिया है।
दिव्यांग कोटा के तहत उसका चयन होकर गैर दिव्यांग का चयन किया जाना नियमों की अवहेलना है। जेपीएससी की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्होंने 342 पद के लिए परिणाम घोषित कर सरकार को भेज दिया है।
प्रार्थी की ओर से दाखिल याचिका में चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी नहीं बनाया गया है। उन्हें प्रतिवादी बनाना चाहिए था। उन्हें कितने अंक प्राप्त हुए हैं इसकी जानकारी याचिका में नहीं दी है।
वह किस कैटेगरी के दिव्यांग हैं यह भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यह बता पाना मुश्किल है कि इनका चयन क्यों नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने आयोग से जवाब मांगा है।
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