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    बेहतर पुलिसिंग में आइजी साकेत कुमार सिंह की खास पहचान

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:30 AM (IST)

    झारखंड पुलिस में आइजी आपरेशन के पद पर पदस्थापित आइपीएस अधिकारी साकेत कुमार सिंह को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

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    बेहतर पुलिसिंग में आइजी साकेत कुमार सिंह की खास पहचान

    जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड पुलिस में आइजी आपरेशन के पद पर पदस्थापित आइपीएस अधिकारी साकेत कुमार सिंह को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा। वर्ष 2002 बैच के आइपीएस अधिकारी साकेत कुमार सिंह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। वे अपने सरल स्वभाव, मिलनसार व्यक्तित्व और कम्युनिटी पुलिसिग को जमीन पर उतारने वाले ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। अपने करियर में उन्होंने कभी किसी निर्दोष को कानूनी उलझन में नहीं फंसने दिया। रांची के एसएसपी के रूप में सर्वाधिक लोकप्रिय अधिकारियों में से एक रहे। बतौर डीआइजी उन्होंने धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्याकांड की जांच करने वाली टीम का मार्गदर्शन किया। इसके अलावा कोल्हान प्रमंडल में आतंक का पर्याय रहे माओवादी संदीप सोरेन को गिरफ्तार करने वाली टीम के मार्गदर्शक रहे। साकेत कुमार सिंह वर्तमान में झारखंड पुलिस के प्रवक्ता है। उन्हें केंद्रीय प्रतिनियोजन पर जाने की स्वीकृति मिल चुकी है। जल्द वे देश के दूसरे हिस्सों में सेवा देते हुए नजर आएंगे।

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    नक्सलियों-माओवादियों के खिलाफ आपरेशन की रही है विशेषज्ञता

    साकेत कुमार सिंह ने अपनी सेवा की एक लंबी अवधि नक्सलियों और माओवादियों के आतंक को खत्म करने में गुजारी। नक्सली समस्या की समझ रखने वाले राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों में उनकी गणना होती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नक्सल प्रभावित इलाके पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर के एसडीपीओ के रूप में की। इसके बाद रांची के ग्रामीण एसपी रहे। गढ़वा में नक्सली आतंक बढ़ने पर इन्हें वहां पुलिस अधीक्षक बनाकर भेजा गया। जिले में चलाए गए इनके अभियान की बदौलत फिर कभी यह समस्या वहां सिर नहीं उठा सकी। अच्छे कार्यों को देखते हुए इसके बाद इन्हें बोकारो के पुलिस अधीक्षक का दायित्व दिया गया। इसके बाद राजधानी रांची की जिम्मेदारी मिली। डीआइजी के रूप में पलामू, कोयलांचल तथा कोल्हान इलाके में इन्होंने अपनी सेवाएं दीं। एसटीएफ डीआइजी के रूप में इन्होंने राज्य में नक्सलियों की कमर तोड़ कर रख दी। उग्रवादियों की गिरफ्तारी से लेकर एनकाउंटर तक हुए। वर्ष 2019 में इन्हें डीआइजी से आइजी के पद पर प्रोन्नति दी गई। नक्सल प्रभावित इलाकों में राज्य विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में इनकी अहम भूमिका रही।

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