Jharkhand Health: बच्चों की जीभ पर छाले और हाथ-पैरों पर रेडनेस दिखे तो हो जाएं सतर्क, चिकित्सक ने दिए बचाव के टिप्स
इस मौसम में अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों में बुखार गले में खराश थकान और सुस्तीभूख कम लगनाहाथ और पैर पर लाल दाने या फोड़े मुंह में छाले और दर्द जैसे लक्षण तो नहीं दिख रहे। यदि ऐसा लक्षण दिखे तो अभिभावक को तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए।

जागरण संवाददाता रांची। एक से पांच वर्ष के बच्चों में वायरस के प्रभाव बढ़ गया है। इनमें बच्चे जीभ, हाथ और पैरों पर छाले तथा रेडनेस के शिकार हो रहे हैं। रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में इससे संबंधी शिकायत लेकर 15 से 20 बच्चें रोजाना आ रहे हैं।
यहां पहुंचने वाले बच्चों के मुंह, जीभ में छाले और हाथों तथा पैरों पर रेडनेस (लालीमा) उभर रहे हैं। इस बीमारी को हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज (एचएफएमडी) कहा जाता है।
इसके होने का मुख्य कारण कोक्ससैकवीरस नामक वायरस होता है। खास तौर पर कम उम्र के बच्चों में यह अधिक पाया जा रहा हैं। संक्रमण बच्चों में हवा, गंदे पानी में संपर्क में आने से होता है। या किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आने से होता हैं, जो पहले से संक्रमित हैं।
यह संक्रमण बच्चों से बच्चों में तेजी से फैलता है। खासकर स्कूल और बच्चों के समूह में अधिक होता है। ऐसे में अभिभावक बच्चों के प्रति चौकसी बरतें। रिम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. उपेंद्र प्रसाद साहू ने बताया कि यह समस्या बरसात के दिनों में बच्चों में बढ़ जाती है।
संक्रमण अधिक होने पर बच्चों को कई दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाता हैं। बच्चों को किसी भी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने रोकें।
अभिभावक इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों में बुखार, गले में खराश, थकान और सुस्ती,भूख कम लगना ,हाथ और पैर पर लाल दाने या फोड़े, मुंह में छाले और दर्द जैसे लक्षण तो नहीं दिख रहे।
यदि ऐसा लक्षण दिखे तो अभिभावक को तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए। शिशु और छोटे बच्चों को छूने से पूर्व हाथों को अच्छे से धोएं। माताएं छालों पर किसी प्रकार का पाउडर या सरसों तेल का इस्तेमाल ना करें।
साथ ही बच्चों के गंदे पानी से खेलने के बाद हाथ पैर धोएं। संक्रमित व्यक्ति से दूरी रखें। बच्चों के कपड़ो को कोई इस्तेमाल करने से बचे। साफ-सफाई का ध्यान रखें।
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