अस्पतालों में मरीजों की भर्ती से लेकर छुट्टी देने तक का होगा प्रोटोकाल, पूरी योजना जानें विस्तार से
झारखंड सरकार ने आईसीयू और सीसीयू में मेडिकल मैनेजमेंट को बेहतर करने के लिए एसओपी लागू करने का फैसला किया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में क्रिटिकल केयर सेवाओं को मजबूत किया जाएगा, ताकि गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार मिल सके। अस्पतालों में संसाधनों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा, और चिकित्सकों में क्रिटिकल केयर को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
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अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए रेफर करने का प्रोटोकाल तय होगा।
राज्य ब्यूरो, रांची। सरकारी एवं निजी अस्पतालों में मरीजों की भर्ती से लेकर उसे छुट्टी देने या दूसरे अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए रेफर करने का प्रोटोकाल तय होगा।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर झारखंड सरकार ने आइसीयू तथा सीसीयू में मेडिकल मैनेजमेंट को बेहतर करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू करने का निर्णय लिया है।
गुरुवार को होटल बीएनआर में आयोजित आइसीयू/सीसीयू में मेडिकल मैनेजमेंट पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में इस एसओपी के ड्राफ्ट पर विस्तृत चर्चा हुई तथा उसपर विशेषज्ञों, सिविल सर्जनों तथा निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों ने दिए सुझाव लिए गए।
राज्य सरकार को 18 नवंबर तक एसओपी को अंतिम रूप देकर सौंपना है। क्षेत्रीय सम्मेलन में बताया गया कि शीर्ष न्यायालय ने सभी राज्यों को एसओपी तैयार करने का आदेश दिया है।
सम्मेलन के उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव सह झारखंड आरोग्य सोसाइटी की कार्यकारी निदेशक डा. नेहा अराेड़ा ने कहा कि झारखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में क्रिटिकल केयर सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में यह ठोस पहल है।
अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व जिला अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर नहीं रहेंगे, बल्कि गंभीर मरीजों को स्थिर करने और प्राथमिक उपचार देने में सक्षम बनेंगे। इससे रिम्स सहित मेडिकल कालेजों पर लोड कम होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर ऐसा तंत्र विकसित करें जिससे हर मरीज को समय पर जीवन रक्षक चिकित्सा मिल सके। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा कि विभाग का लक्ष्य है कि हर जिला अस्पताल में सशक्त आइसीयू और क्रिटिकल केयर यूनिट स्थापित हों।
कहा, अस्पतालों में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है प्रबंधन और उपयोग की दक्षता बढ़ाने की। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी मरीज सुविधा या वेंटिलेटर की कमी से अपनी जान न गंवाए।
निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं डा. सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि एक समान आइसीयू और डिस्चार्ज प्रोटोकाल बनाना जरूरी है ताकि हर अस्पताल में मरीजों की देखभाल का एक मानक तय हो सके।
राज्य के पांच मेडिकल कालेजों में पहले से ही आइसीयू की सुविधाएं उपलब्ध हैं और सरकार सभी जिला अस्पतालों में इसे विस्तारित करने की दिशा में कार्यरत है।
कई चिकित्सकों को भी क्रिटिकल केयर की जानकारी नहीं
रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष तथा आइसीयू में मैडिकल मैनेजमेंट को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एसओपी तैयार करने को लेकर गठित कमेटी के सदस्य डा. प्रदीप भट्टाचार्य ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्रिटिकल केयर को लेकर चिकित्सकों में जागरुकता जरूरी है। कई चिकित्सकों को इसकी जानकारी नहीं है।
कहा, राज्य में क्रिटिकल केयर नेटवर्क को मज़बूत बनाने के लिए एसओपी का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि रिम्स में क्रिटिकल केयर के डीएनबी कोर्स कराए जा रहे हैं, जो चुनिंदा मेडिकल कालेजों में सम्मिलित है। कहा कि अगले दो से तीन वर्षों में झारखंड क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट में माडल स्टेट बन सकता है।
विशेषज्ञों के सुझाव
- अस्पतालों में टेली आइसीयू नेटवर्किंग और 24 गुना सात विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रणाली लागू हो।
डॉ. सौरभ सैगल, एम्स, भोपाल
- एकीकृत ट्रामा एवं क्रिटिकल केयर प्रोटाकाल को सभी अस्पताल लागू करें। इससे कई क्रिटिकल मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
डॉ. संजीव कुमार, आइजीआइएमएस, पटना
- क्रिटिकल केयर सुविधाएं बढ़ाने तथा इसके बेहतर मैनेजमेंट से अस्पताल कई मरीजों की जान बचा सकते हैं। प्रोटोकाल के अनुसार उनका तत्काल आवश्यक उपचार कर मरीजों को रेफर करने से जान का खतरा कम होगा।
डा. विक्रम गुप्ता, बीएचयू, वाराणसी

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