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    Jharkhand: शराब घोटाले में IAS विनय चौबे को मिली डिफॉल्ट बेल, कोर्ट ने रखी ये शर्त

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 01:27 PM (IST)

    शराब घोटाला मामले में आईएएस विनय कुमार चौबे को एसीबी कोर्ट से डिफॉल्ट बेल मिली है। 92 दिन बाद भी चार्जशीट दाखिल न होने पर उन्होंने याचिका दायर की थी। अधिवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तय समय में चार्जशीट दाखिल न होने पर आवेदक जमानत का हकदार है। कोर्ट ने 25-25 हजार के दो मुचलके जमा करने की शर्त पर जमानत दी।

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    शराब घोटाला मामले में आईएएस विनय कुमार चौबे को एसीबी कोर्ट से डिफॉल्ट बेल मिली है। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। शराब घोटाला मामले में आरोपित आइएएस विनय कुमार चौबे को बड़ी राहत मिली है। एसीबी कोर्ट ने विनय कुमार चौबे को डिफॉल्ट बेल की सुविधा प्रदान की है। हालांकि, विनय कुमार चौबे अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि वे हजारीबाग में जमीन से जुड़े एक मामले में भी आरोपित हैं, जिसमें उन्हें प्रोडक्शन पर ले जाया गया है।

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    विनय कुमार चौबे फिलहाल रिम्स में इलाजरत हैं। शराब घोटाले में 92 दिन बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर उनकी ओर से डिफॉल्ट बेल देने के लिए याचिका दायर की गई थी। अधिवक्ता देवेश अजमानी ने उनका पक्ष रखा।

    कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में मंगलवार को 92 दिन बीत गए हैं, लेकिन एसीबी ने चार्जशीट दाखिल नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में निर्देश दिया है कि अगर तय समय में चार्जशीट दाखिल नहीं की जाती है, तो आवेदक जमानत का हकदार हो जाता है।

    इसलिए विनय कुमार चौबे को जमानत दे दी जाए। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत की सुविधा प्रदान की। अदालत ने जमानत के लिए 25-25 हजार रुपये के दो निजी मुचलके जमा करने और अदालत की अनुमति के बिना राज्य से बाहर नहीं जाने तथा मोबाइल नंबर नहीं बदलने का निर्देश दिया है। एसीबी ने उन्हें उक्त आरोप में 20 मई को गिरफ्तार किया था।

    उसी दिन उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था। आरोप पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 अगस्त थी। अगर मंगलवार को भी मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं होता है, तो दोनों आरोपी सुधीर कुमार दास और सुधीर कुमार भी डिफॉल्ट जमानत के पात्र होंगे।

    दैनिक जागरण ने निर्धारित 90 दिनों के भीतर जमानत दाखिल नहीं करने का मुद्दा उठाया था और कहा था कि ऐसे मामले में आरोपियों को अदालत से जमानत मिलने में सहूलियत होगी।