Jharkhand Liquor Scam: निलंबित IAS विनय चौबे की पत्नी ने एक करोड़ की संपत्ति मात्र 26 लाख में खरीदी, बैंक घोटाले के आरोपित से हुई डील
निलंबित आईएएस विनय चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता ने रांची में एक व्यवसायिक संपत्ति को 26 लाख रुपये में खरीदा, जबकि इसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ रुपये है ...और पढ़ें

निलंबित आइएएस अधिकारी विनय चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता द्वारा खरीदी गई एक व्यवसायिक संपत्ति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। निलंबित आइएएस अधिकारी विनय चौबे की पत्नी स्वप्ना संचिता द्वारा खरीदी गई एक व्यवसायिक संपत्ति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जांच में सामने आया है कि स्वप्ना संचिता ने वर्ष 2019 में रांची के फिरायालाल कंपाउंड स्थित एक व्यवसायिक भवन मात्र 26 लाख रुपये में खरीदा।
जबकि इस संपत्ति की अनुमानित कीमत करीब एक करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह संपत्ति जतिन सहाय नामक व्यक्ति से खरीदी गई है, जो 5.33 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले के मामले में सीबीआइ द्वारा आरोपित है।
जालसाजी की शिकायत बैंक आफ इंडिया ने की थी, जिसके आधार पर सीबीआइ ने जांच करते हुए जतिन सहाय समेत 10 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोपितों में बैंक अधिकारी समेत अन्य लोग भी शामिल हैं।
जांच में मिले तथ्यों के अनुसार व्यवसायिक भवन की रजिस्ट्री में संपत्ति का मूल्य सर्कल रेट से काफी कम दर्शाया गया है। रजिस्ट्री के दौरान महज 95 हजार रुपये स्टांप ड्यूटी के रूप में भुगतान किया गया।
जांच में यह भी सामने आया है कि बैंक घोटाले में आरोपित जतिन सहाय और नेक्सजेन के मालिक विनय कुमार सिंह के बीच व्यावसायिक संबंध रहे हैं। दोनों ही फ्लोरेंस हेल्थकेयर नामक कंपनी में निदेशक रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त विनय सिंह का संबंध कई अन्य कंपनियों से भी है।
रामगढ़ डीसी का भी बयान दर्ज, चौबे की भूमिका को बताया गलत
शराब घोटाले की जांच में बुधवार को उत्पाद विभाग के तत्कालीन आयुक्त और वर्तमान में रामगढ़ के उपायुक्त (डीसी) आइएएस अधिकारी फैज अक अहमद का बयान दर्ज किया गया। एंटी करप्शन ब्यूरो कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की गई, जिनके समक्ष फैज अक अहमद ने अपना बयान दर्ज कराया।
बयान दर्ज होने के बाद उसे सीलबंद कर सुरक्षित कर लिया गया है। जानकारी के अनुसार, फैज अक अहमद ने अपने बयान में शराब घोटाले से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने तत्कालीन उत्पाद विभाग के सचिव और आइएएस अधिकारी विनय चौबे की भूमिका को लेकर अदालत के समक्ष महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं।
बताया जा रहा है कि बयान में विभागीय स्तर पर लिए गए फैसलों, प्रक्रियाओं और कथित अनियमितताओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। इससे घोटाले की कड़ी दर कड़ी परतें खुलने की संभावना है। जांच एजेंसी अब सीलबंद बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई और साक्ष्यों का मिलान करेगी।

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