टेंडर आवंटन में गड़बड़ी करने वालों को कैसे मिला प्रश्रय, एसीबी ने आइएएस कर्ण सत्यार्थी से की पूछताछ
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने आईएएस अधिकारी कर्ण सत्यार्थी से टेंडर आवंटन में गड़बड़ियों के सिलसिले में पूछताछ की। जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं कैसे हुईं और गड़बड़ी करने वालों को किसने संरक्षण दिया। एसीबी अब सत्यार्थी से प्राप्त जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी।

शराब घोटाला मामले में एसीबी ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी से पूछताछ की।
राज्य ब्यूरो, रांची। शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी ने मंगलवार को भी पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी से पूछताछ की।
आइएएस अधिकारी कर्ण सत्यार्थी उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व आयुक्त उत्पाद सह झारखंड राज्य बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक थे। एसीबी ने दूसरे दिन भी उत्पाद विभाग में पूर्व से चली आ रही भ्रष्टाचार पर विस्तृत जानकारी ली है।
एसीबी ने कर्ण सत्यार्थी से यह जानने की कोशिश की है कि आखिर किसके सहयोग से मैनपावर आपूर्ति का ठेका फर्जी बैंक गारंटी देने वाली प्लेसमेंट एजेंसी को मिला। इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।
पूछा- कार्रवाई नहीं करने के पीछे किसका है हाथ
जब मामला उजागर हुआ तो उनके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पूर्व की उत्पाद नीति में फर्जी बैंक गारंटी देने वाले प्लेसमेंट एजेंसी पर किसी ने कार्रवाई क्यों नहीं की। उनके पीछे किसका हाथ था।
एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री होती रही, लेकिन उसपर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकी। अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री से आने वाले कमीशन की राशि कहां-कहां बंटती थी। इन सभी बिंदुओं पर एसीबी ने आइएएस अधिकारी कर्ण सत्यार्थी का बयान लिया।
बताया जा रहा है कि पूर्व के दो आयुक्त उत्पादों फैज अक अहमद मुमताज व कर्ण सत्यार्थी की बदौलत ही शराब घोटाले का मामला उजागर हुआ है। सूत्रों के अनुसार दोनों ही अधिकारी एसीबी के अहम गवाह बनेंगे। एसीबी को इनसे पूछताछ में कई जानकारियां मिली है, जिसके आधार पर आगे की छानबीन जारी है।

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