IAS छवि रंजन की याचिका दूसरी बेंच में स्थानांतरित, सेना भूमि घोटाला मामले में हैं निलंबित
आइएएस अधिकारी छवि रंजन, जो सेना भूमि घोटाला मामले में निलंबित हैं, की याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय ने दूसरी बेंच में स्थानांतरित कर दिया है। न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने यह आदेश दिया। छवि रंजन पर रांची में सेना भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच ईडी भी कर रही है। अब इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच में होगी।

सेना के कब्जे वाली जमीन की अवैध बिक्री के मामले में निलंबित आइएएस छवि रंजन की याचिका को दूसरे बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है।
राज्य ब्यूरो, रांची। जस्टिस अंबुज नाथ की अदालत ने बरियातू स्थित सेना की कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन के अवैध बिक्री के मामले में निलंबित आइएएस छवि रंजन की याचिका को दूसरे बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।
छवि रंजन ने अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के बाद भी ईडी कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इस केस से संबंधित मामले की सुनवाई दूसरी कोर्ट में चल रही है।
छवि रंजन ने याचिका में कहा है कि किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक केस चलाने के लिए सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति आदेश लेना जरूरी है। लेकिन ईडी की ओर से इस केस में ऐसा नहीं किया गया है।
इसलिए उनके खिलाफ ईडी कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान आदेश और प्राथमिकी निरस्त कर देनी चाहिए। बरियातू में सेना की जमीन के कागजात की हेराफेरी मामले में रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को ईडी ने चार मई 2023 को गिरफ्तार किया था।
सेना भूमि घोटाले में तीन की जमानत पर मांगी केस डायरी
हाई कोर्ट के जस्टिस अंबुज नाथ की अदालत ने बरियातू में सेना की कब्जे वाली जमीन पर फर्जी आधार कार्ड, बिजली बिल और फर्जी कब्जा पत्र के आधार पर दो-दो होल्डिंग लेने के मामले की केस डायरी मांगी है। मामले के आरोपित सौरभ कुमार उर्फ सौरव वर्णवाल, अफसर अली एवं सद्दाम हुसैन की ओर से जमानत याचिका दाखिल की गई है।
बरियातू थाने में दर्ज केस सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री के लिए फर्जी दस्तावेज पर दो-दो होल्डिंग लेने से संबंधित है। रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा की लिखित शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
उन्होंने शिकायत की थी कि प्रदीप बागची ने एक ही जमीन पर दो-दो होल्डिंग लेने के लिए फर्जी आधार कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल व कब्जा दिखाया था। फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रदीप बागची ने जगत बंधु टी एस्टेट कंपनी के दिलीप घोष को सात करोड़ में बेच दी थी। फर्जी दस्तावेज तैयार करने और खरीद बिक्री करने में सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत थी।

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