रांची के बड़े अस्पतालों में नकली फिनाइल व दवाओं का हो रहा इस्तेमाल, छापेमारी में नकली कॉस्मेटिक्स भी जब्त
राजधानी के बड़े अस्पतालों सहित नर्सिंग होम में नकली रसायन का हो रहा उपयोग हो रहा है। कहीं से भी क्वॉलिटी मेंटेन नहीं की जा रही है। यह एक तरह से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ के समान है।
जासं, रांची। ड्रग कंट्रोल टीम की ओर से दूसरे दिन मंगलवार को भी रामगढ़ सहित रांची के रातू चट्टी और पीपी कंपाउंड, हिंदपीढ़ी के नाला क्षेत्र में छापेमारी की गई। छापेमारी में भारी मात्रा में दवाएं व एक ट्रक नकली सौंदर्य प्रसाधन के सामान जब्त किए गए। इसमें मूलतानी मिट्टी, हैंडवाश से लेकर फेस पैक तक शामिल है। वहीं चिकित्सकों ने बताया कि इस तरह के नकली सौंदर्य की सामग्री से स्किन कैंसर तक होने का खतरा रहता है। इन सभी जगहों को सील कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
बिना लाइसेंस के चल रहे कई कारोबार
मंगलवार को औषधि निदेशालय द्वारा गठित ड्रग इंस्पेक्टरों की चार अलग-अलग टीम ने इन क्षेत्रों में छापेमारी की। इस क्रम में बड़ी मात्रा में नकली दवा के अलावा सौंदर्य प्रसाधन पकड़े गए। कई जगहों पर बिना लाइसेंस के इन सबका कारोबार किया जा रहा था, जिसकी सूचना मिलने पर औषधि प्रशासन हरकत में आया। प्रशासन की इस कार्रवाई से कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
छापेमारी में निकला नकली चीजों का अंबार
इससे पहले सोमवार को औषधि प्रशासन की ओर से छापेमारी की गई थी। इस दौरान सिर्फ राजधानी के 12 से अधिक जगहों पर छापेमारी कर 50 लाख से अधिक का नकली सामान जब्त किया गया था। इन जगहों में हरमू हाउसिंग कालोनी, बीआइटी मेसरा के समीप, लोअर चुटिया, अपर बाजार और झीरी रातू का क्षेत्र शामिल हैं। इस दौरान भारी मात्रा में नकली फिनायल, हैंडवास, डिस्इंफेक्टेंट, सौंदर्य के सामान जिसमें मेहंदी से लेकर इत्र तक जब्त किए गए।
राजधानी के कई बड़े अस्पतालों में हो रहा नकली रसायन का प्रयोग
राजधानी के कई अस्पतालों में नकली सामग्री के प्रयोग का कारोबार बढ़ता जा रहा है। जिसमें फिनाइल की जगह सुगंधित परफ्यूम, सैनिटाइजर की जगह पीपरमिंट, डिस्इंफेक्टेंट (संक्रमण रोकने वाला रसायन या दवा) भी मानक के अनुरूप नहीं है। इससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। इन नकली उत्पादों और नकली कंपनियों के खिलाफ ड्रग कंट्रोल ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। औषधि निदेशालय ने एक दिन पहले पकड़े अवैध व नकली डिस्इंफेक्टेंट की सप्लाई चेन की जांच की। इसके बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
अस्पतालों में क्वालिटी मेंटेन नहीं की जा रही
इस मामले में औषधि उप निदेशक सुमंत तिवारी ने बताया कि जिस तरह बड़े अस्पताल काम कर रहे हैं, इससे मरीजों की जान को खतरा है। राजधानी के कई बड़े अस्पतालों में लगातार मानक के अनुरूप डिस्इंफेक्टेंट व केमिकल का प्रयोग नहीं हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि इन अस्पतालों में क्वालिटी मेंटेन नहीं की जा रही है। ऐसे अस्पतालों की पूरी सूची तैयार की जा रही है ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।
तीन वर्ष के सजा का है प्रविधान
अस्पताल में मानक के अनुरूप कोई भी केमिकल व दवा का प्रयोग नहीं करने पर तीन वर्ष की सजा का प्रविधान है। यह जानकारी सुमंत तिवारी ने दी है। बताया कि आगे इसकी तैयारी की जा रही है कि जो भी अस्पताल प्रबंधक इसमें दोषी निकले उन पर कार्रवाई की जा सके। सभी अवैध फैक्ट्री से ऐसे दवाएं बनाई जा रही थी जिसका प्रयोग भारी मात्रा में अस्पतालों में होता है। ऐसे में अगर अस्पताल से संक्रमण हटाने वाला डिस्इंफेक्ट रसायन ही नकली होगा तो इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा काफी बढ़ जाएगा।
सस्ते फिनाइल, सेनिटाइजर और डिसइंफेक्टेंट का हो रहा कारोबार
बाजार दर से ब्रांडेड केमिकल की तुलना में 60 प्रतिशत तक ये नकली केमिकल आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। जिसकी सबसे बड़ी सप्लाई बड़े अस्पतालों में होती आ रही है। ड्रग इंस्पेक्टर प्रणव बताते हैं कि अस्पताल प्रबंधक को जानकारी होने के बावजूद सस्ते दर पर अवैध सामग्री की खरीदारी करते हैं, जिससे अस्पताल प्रबंधक अपने ही नियमों का उल्लंघन करता है और सस्ते की वजह से वो फायदा नहीं मिलता जिसकी उम्मीद रहती है। उन्होंने बताया कि अभी पूरी जांच चल रही है और इसमें कई खुलासे होंगे।
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