Jharkhand News: कैसे होगा छात्रों का भला, सरकारी विद्यालयों में 4000 से अधिक लिपिक के पद रिक्त
झारखंड के विभिन्न माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक सरकारी विद्यालयों में एक दशक से लिपिक के पद रिक्त हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ विद्यालयों की संख्या तथा विद्यालयों के उत्क्रमण में बढ़ोतरी हुई है। प्रत्येक माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में लिपिकों का न्यूनतम एक पद तथा अधिकतम तीन स्वीकृत पद हैं।

जागरण संवाददाता, रांची । Jharkhand Government Schools राज्य के विभिन्न माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक सरकारी विद्यालयों में पिछले एक दशक से लिपिक के पद रिक्त हैं। लोक सेवा आयोग तथा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा लिपिकों की नियुक्ति को ले विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया।
जिला प्रशासन द्वारा अनुकंपा के माध्यम से ही इस पदों पर नियुक्तियां अब तक की जाती रही हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने के साथ साथ विद्यालयों की संख्या तथा विद्यालयों का उत्क्रमण में बढ़ोतरी हुई है।
प्रत्येक माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में लिपिकों का न्यूनतम एक पद तथा अधिकतम तीन स्वीकृत पद हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, सभी उच्च विद्यालय में कक्षा नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई की जानी है।
Jharkhand Education स्कूल आफ एक्सीलेंस योजना के आ जाने से निजी विद्यालयों से भी छात्र छात्राएं सरकारी विद्यालयों में नामांकन ले रहे हैं। छात्रों की संख्या प्रत्येक वर्ष बढ़ जाने के कारण विद्यालय में कार्यालयी कार्य की अधिकता बढ़ गई है । शिक्षकों को कार्यालय का कार्य भी संभालना पड़ रहा है।
इससे कक्षा संचालन में कठिनाई तथा विद्यालय का दैनिक कार्य प्रभावित हो रहा है। राज्य में सबसे अधिक लगभग 5500 पद लिपिकों का सरकारी विद्यालय में स्वीकृत है, जो कि अधिकतर रिक्त हैं।
राज्य के कई विद्यालयों में 3 से 4 हजार छात्र छात्राओं पर एक लिपिक कार्यरत हैं। विद्यालय में लिपिकीय संरचना में कुल 3 पद हैं, जिनमें निम्न वर्गीय लिपिक, उच्च वर्गीय लिपिक तथा प्रधान लिपिक शामिल हैं। कई विद्यालयों में ये तीनों लिपिकीय पद स्वीकृत नहीं हैं।
विद्यालयहित तथा छात्रहित में सभी माध्यमिक विद्यालयों में लिपिकों के न्यूनतम 3 पद स्वीकृत किया जाना चाहिए। वर्तमान में लगभग 1500 विद्यालय लिपिक इस राज्य में कार्यरत हैं। शेष लगभग 4000 पदों पर सरकार द्वारा नियुक्ति की जानी चाहिए। ताकि शिक्षा स्तर और भी बढ़ सके।
साथ ही बेरोजगारों को रोजगार का अवसर प्राप्त हो सके। प्रदेश में प्राथमिक से प्लस टू उच्च विद्यालय तक शिक्षक सहित क्लर्क के कई पद रिक्त हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उत्तरोतर विकास कैसे हो सकता है।
रिक्त पदों पर बहाली के बाद ही शिक्षा में बदलाव संभव है। अन्यथा आकंड़े की बाजीगरी से शिक्षा का विकास कदापि संभव नहीं होगा। राज्य के सर्वांगीण विकास में शिक्षा का अहम योगदान तब होगा जब पर्याप्त मात्रा में खाली पदों को भरा जाए। -नसीम अहमद, मुख्य प्रवक्ता, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, झारखंड प्रदेश।
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