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    Jharkhand Politics: सरयू राय झारखंड में NDA को कितना दे पाएंगे धार, भाजपा कार्यालय में पुनरागमन से सियासी पारा हाई

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 03:45 PM (IST)

    झारखंड की राजनीति में एक बार फिर कद्दावर नेता सरयू राय सुर्खियों में हैं। शुक्रवार को एनडीए की संयुक्त बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के झारखंड प्रदेश कार्यालय में वे शामिल हुए। इस बार वह जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायक के तौर पर नजर आए। 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय ने भाजपा से बगावत कर जमशेदपुर पूर्वी सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था।

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    झारखंड की राजनीति में कद्दावर नेता सरयू राय एनडीए की संयुक्त बैठक में शामिल हुए।

    प्रदीप सिंह, जागरण, रांची। झारखंड की राजनीति में एक बार फिर कद्दावर नेता सरयू राय सुर्खियों में हैं। शुक्रवार को एनडीए की संयुक्त बैठक में उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के झारखंड प्रदेश कार्यालय में आमंत्रित किया गया।

    इस बार वह जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विधायक के तौर पर नजर आए। यह घटना इसलिए उल्लेखनीय है, क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय ने भाजपा से बगावत कर जमशेदपुर पूर्वी सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था।

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    उनकी यह वापसी एनडीए के लिए एक रणनीतिक लाभ का संकेत देती है, जो झारखंड में विपक्ष के रूप में मजबूत वापसी की कोशिश में है।

    2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय ने जमशेदपुर पश्चिम से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जमशेदपुर पूर्वी सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ा और उन्हें परास्त कर सियासी हलकों में हलचल मचा दी।

    उनकी इस जीत ने न केवल उनकी लोकप्रियता को रेखांकित किया, बल्कि उनकी रणनीतिक और जन-केंद्रित राजनीति को भी स्थापित किया। सरयू राय का यह कदम उस समय चर्चा का केंद्र बना था, क्योंकि रघुवर दास जैसे दिग्गज नेता को हराना आसान नहीं था।

    जदयू के साथ नई पारी

    पिछले वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर जदयू का दामन थामा। एनडीए गठबंधन के तहत उन्हें जमशेदपुर पश्चिम सीट से उम्मीदवारी मिली, जहां उन्होंने तत्कालीन मंत्री बन्ना गुप्ता को हराकर अपनी सियासी ताकत का एक और परिचय दिया।

    जदयू के एकमात्र विधायक के रूप में उनकी मौजूदगी ने गठबंधन को मजबूती प्रदान की। उनकी यह जीत न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि एनडीए के लिए एक रणनीतिक लाभ भी साबित हुई।

    एनडीए को धार देने की संभावना

    लंबे समय से झारखंड की राजनीति में सक्रिय सरयू राय अपने तथ्यपरक और नीतिगत विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। वित्तीय और नीतिगत मामलों में उनकी गहरी समझ और सरकार को घेरने की क्षमता एनडीए के लिए एक बड़ा हथियार हो सकती है।

    झारखंड में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा को सरयू राय की यह विशेषज्ञता मजबूती प्रदान कर सकती है। उनकी उपस्थिति न केवल गठबंधन के भीतर समन्वय को बढ़ाएगी, बल्कि विधानसभा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर सटीक और प्रभावी ढंग से सरकार को कटघरे में खड़ा करने में भी मदद करेगी।

    हालांकि, सरयू राय ने हाल ही में एनडीए के भीतर समन्वय की कमी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए की कोई बैठक नहीं हुई, जो गठबंधन की एकजुटता के लिए जरूरी है।

    उन्होंने सुझाव दिया कि सप्ताह में एक बार गठबंधन के प्रमुख नेताओं की बैठक होनी चाहिए, ताकि मुद्दों पर समन्वय और रणनीति तय की जा सके। यह बयान भाजपा के लिए एक चुनौती भी है, क्योंकि गठबंधन के छोटे दलों की भूमिका को नजरअंदाज करना रणनीतिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है।

    माना जा रहा नई शुरुआत

    सरयू राय की भाजपा कार्यालय में वापसी, भले ही जदयू विधायक के रूप में हो, झारखंड की राजनीति में एक नई शुरुआत का संकेत है। उनकी अनुभवी नेतृत्व शैली और नीतिगत विशेषज्ञता एनडीए को मजबूती देगी।

    यह कदम न केवल गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भाजपा झारखंड में विपक्ष के रूप में प्रभावी वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।