झारखंड में हिरासत में कितनी मौतें, गृह सचिव से हाई कोर्ट ने मांगी जानकारी
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने राज्य में जेल या न्यायिक हिरासत में हुई मौत मामले में गृह सचिव से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार के गृह सचिव से पूछा है कि वर्ष 2018 से अब तक जेल या न्यायिक हिरासत में कितनी मौत हुई है। मामले के अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने राज्य में जेल या न्यायिक हिरासत में हुई मौत मामले में गृह सचिव से जवाब मांगा है।
अदालत ने सरकार के गृह सचिव से पूछा है कि वर्ष 2018 से अब तक जेल या न्यायिक हिरासत में कितनी मौत हुई है। मामले के अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
21 अगस्त के कोर्ट के आदेश को आलोक में गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग की प्रधान सचिव इसमें यह बताया गया था कि जेल में या न्यायिक हिरासत में हुई सभी मौत की सूचना मजिस्ट्रेट को दी गई थी।
इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि रिकार्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि मजिस्ट्रेट द्वारा जेल या न्यायिक हिरासत में हुई मौत के मामले में कोई जांच की गई थी या नहीं।
पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने सरकार के गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को निर्देश दिया था कि वह वर्ष 2018 से जेल या न्यायिक हिरासत में हिरासत में हुई मृत्यु के मामलों की संख्या के संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र दाखिल करें ।
और यह भी बताएं कि क्या मृत्यु का तथ्य मजिस्ट्रेट के संज्ञान में लाया गया था ताकि सीआरपीसी की धारा 176 (1-ए) या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 196 (2) के तहत जांच की जा सके। बता दे कि प्रार्थी मुमताज अंसारी ने राज्य में जेल या न्यायिक हिरासत में हुई मौत मामले की जांच करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
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