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    पांच हजार लगाकर 50000 कमाया, अब चालक से मछली पालक बने पिंटू; 35 परिवारों को दिया रोजगार

    Updated: Mon, 30 Jun 2025 04:08 PM (IST)

    हजारीबाग के पिंटू कुमार यादव ने मछली पालन से अपनी और 35 परिवारों की जिंदगी बदल दी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और राज्य सरकार के सहयोग से उन्होंने केज कल्चर को अपनाया। पिंटू ने ट्रक ड्राइवरी छोड़कर मछली पालन शुरू किया और आज लाखों कमा रहे हैं। उनकी सफलता मेहनत और सरकारी योजनाओं के सही उपयोग का परिणाम है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    मनोज सिंह, हजारीबाग। झारखंड में मछली पालन न केवल रोजगार का एक नया स्रोत बन रहा है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रहा है।

    केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और राज्य सरकार के सहयोग से मछली पालन, खासकर केज कल्चर ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है।

    हजारीबाग के बरही प्रखंड के बुंडू गांव के पिंटू कुमार यादव इस क्रांति के नायक हैं, जिन्होंने ट्रक ड्राइवरी छोड़कर मछली पालन को अपनाया और आज लाखों की कमाई के साथ 35 परिवारों को रोजगार दे रहे हैं। उनकी कहानी मेहनत, दृढ़ संकल्प और सरकारी योजनाओं के सही उपयोग का जीवंत उदाहरण है।

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    पिंटू यादव का जीवन पहले संघर्षों से भरा था। ट्रक ड्राइवर के रूप में वह परिवार से दूर रहकर मुश्किल से घर चलाते थे। 2017 में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर तिलैया डैम में मात्र पांच हजार रुपये की लागत से मछली पालन शुरू किया।

    उसी साल उन्होंने 50 हजार रुपये की मछली बेचकर अपनी संभावनाओं को पहचाना। इस छोटी सी सफलता ने उन्हें बड़े पैमाने पर मछली पालन की ओर प्रेरित किया। नीली क्रांति योजना के तहत 2017-18 में उन्हें चार केज (एक बैट्री) मिले, जिसने उनके व्यवसाय को नई दिशा दी।

    2021 में पीएमएमएसवाई के तहत दो बैट्री (आठ केज) और डीएमएफटी से दो अतिरिक्त केज मिलने से उनका आत्मविश्वास और बढ़ा।

    सहयोग समिति : सामूहिक प्रयास की ताकत

    पिंटू ने अकेले नहीं, बल्कि सामुदायिक सहयोग से इस व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने पारुष मत्स्य जीवी सहयोग समिति की स्थापना की, जिसमें 35 परिवार शामिल हैं, जिनमें 11 महिलाएं भी हैं। समिति वर्तमान में 58 बैट्री (232 केज) के जरिए सालाना 150-200 टन मछली का उत्पादन करती है।

    पीएमएमएसवाई के तहत महिलाओं को 60% सब्सिडी मिली, जिसने उनकी भागीदारी को और बढ़ावा दिया। सरकार ने समिति को मोटर बोट, पिकअप वैन, जाल, और लाइफ जैकेट जैसे संसाधन भी प्रदान किए।

    पिंटू की अगुवाई में यह समिति न केवल मछली उत्पादन कर रही है, बल्कि झारखंड और बिहार के बाजारों में तिलापिया और पंगेसियस मछलियों की आपूर्ति भी कर रही है।

    आर्थिक लाभ और चुनौतियां

    पिंटू के अनुसार, एक किलो मछली तैयार करने में 55-60 रुपये की लागत आती है, जबकि इसे 100-120 रुपये में बेचा जाता है, जिससे 40% का लाभ होता है। उनकी समिति सालाना 8-10 लाख रुपये खर्च कर 4-5 लाख रुपये की बचत करती है।

    हालांकि, तिलैया डैम तक पहुंचने के लिए रास्ते और सोलर लाइट की कमी एक चुनौती है। उनकी पत्नी प्रियंका कुमारी और भाई भी इस व्यवसाय में सक्रिय हैं, जो सामुदायिक सहयोग का एक शानदार उदाहरण है।

    पिंटू कुमार यादव की कहानी झारखंड में मछली पालन के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाती है। पीएमएमएसवाई और राज्य सरकार की मदद से उन्होंने न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि अपने गांव के 35 परिवारों को आत्मनिर्भर बनाया।

    हजारीबाग जिले में 2,265 केज और 359 मछली पालकों की सक्रियता इस क्षेत्र की प्रगति को दर्शाती है। पिंटू की मेहनत और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग अन्य ग्रामीणों के लिए प्रेरणा है।

    मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मात्र पांच हजार रुपये लगाकर मछली पालन शुरू किया। उसी साल मुझे 50 हजार रुपये की कमाई हुई। उसके बाद अब तो हम लोगों ने सहयोग समिति बनाकर मछली पालन काम शुरू कर दिया है। इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार का बहुत सहयोग मिला है। - पिंटू कुमार यादव, लाभुक, पीएमएमएसवाई

    हजारीबाग जिला

    • कुल केज - 2265
    • कुल मछली पालक- 359
    • कुल मछली पालन समिति- 5
    • मछली का उत्पादन- तिलापिया, पंगेसियस
    • एक किसान को लाभ- चार से पांच लाख प्रति वर्ष