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    Hemant Soren: झारखंड में सबसे अधिक भ्रष्टाचार, नेता व आइएएस जेल में बंद, लेकिन लोकायुक्त का पद खाली

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Tue, 26 Jul 2022 05:09 PM (IST)

    Jharkhand Lokayukta भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात झारखंड में नेता और आइएएस अफसर जेल में बंद हैं। लेकिन सरकार के आदेश के बावजूद सवा साल से लोकायुक्त की बहाली नहीं हो रही है। पद खाली है। हर दिन शिकायतें पहुंच रही हैं। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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    Hemant Soren News: झारखंड में सबसे अधिक भ्रष्टाचार, नेता व आइएएस जेल में बंद, लेकिन लोकायुक्त का पद खाली

    रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाली सबसे मजबूत संस्था लोकायुक्त करीब सवा साल से कमजोर पड़ी है। कार्यालय सिर्फ नाम का है। यहां हर माह आ रहीं औसतन 40 शिकायतें डंप होती जा रहीं हैं, लेकिन कोई काम नहीं हो रहा है। जब लोग अपनी शिकायतों पर हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी लेने लोकायुक्त कार्यालय पहुंचते हैं तो कार्यालय के कर्मी निरुत्तर हो जाते हैं। वे यह भी नहीं बता पाते हैं कि झारखंड सरकार ने ही आम जनों की शिकायतों पर किसी भी तरह की कार्रवाई, सवाल-जवाब, जांच, पत्राचार पर रोक लगा रखा है। स्थिति यह है कि केवल इस वर्ष में एक जनवरी 2022 से लेकर 22 जुलाई 2022 तक 289 शिकायतें आ चुकी हैं। पूर्व की लगभग 1200 शिकायतें जस की तस पड़ी हैं, लेकिन कोई काम नहीं हो रहा है। वर्तमान में सर्वाधिक शिकायतें राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, ग्रामीण विकास विभाग व पेंशन भुगतान आदि से संबंधित आ रही हैं।

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    जांच करा सकता हैं न समन भेज सकता कार्यालय

    लोकायुक्त के निधन के बाद यह बात सामने आई थी कि लोकायुक्त ने अपने सचिव को जांच कराने व समन भेजने का आदेश दे रखा था। लोकायुक्त के सचिव न सुनवाई कर सकते हैं और न हीं वे किसी फाइल को बंद कर सकते हैं। इन्हीं अधिकारों के तहत सचिव कुछ माह तक जांच कराने संबंधित सवाल-जवाब व समन भेजने का काम करते थे। बाद में राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने इससे संबंधित एक आदेश लोकायुक्त कार्यालय को भेज दिया कि जब तक लोकायुक्त की स्थाई नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक न कोई जांच होगी, न किसी से सवाल जवाब होगा, न किसी को समन भेजा जाएगा।

    कोरोना संक्रमण से लोकायुक्त का हो चुका निधन

    मालूम हो कि पिछले वर्ष 29 जून 2021 को झारखंड के लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय का कोरोना वायरस के संक्रमण से निधन हो गया था। उसके बाद से ही पद रिक्त है। नये लोकायुक्त की बहाली के लिए सरकार की ओर से कोई पहल नहीं जा रही है। यह ऐसा विभाग बन गया है, जिसकी राजनीति में कहीं चर्चा नहीं हो रही है। राजनीतिक दलों के नेता इस सवाल पर खामोशी की चादर ओढे हुए हैं। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। अगर नए लोकायुक्त की नियुक्ति हो जाती तो शिकायतों की सुनवाई शुरू हो जाती।