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    क्या बांग्लादेशी घुसपैठियों के आने के बाद कार्रवाई होगी? HC का केंद्र सरकार से सवाल

    Updated: Thu, 08 Aug 2024 07:14 PM (IST)

    Jharkhand High Court बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से जवाब नहीं मिलने और राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इस संबंध में आईबी से सीलबंद रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही दोनों ही सरकारों को मिलकर काम करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने इलाके में सत्यापन करने का निर्देश भी दिया है।

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    बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर सरकार की ओर से जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस एके राय की खंडपीठ में गुरुवार को झारखंड के संताल परगना प्रमंडल में बांग्लादेशी घुसपैठ (Bangladeshi Infiltration) को रोकने को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

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    सुनवाई के दौरान राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल नहीं किए जाने पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार घुसपैठियों के देश में प्रवेश करने के बाद कार्रवाई करेगी?

    बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता है। ऐसे में बांग्लादेशी घुसपैठियों (Bangladeshi Infiltration) को भारत में आने से रोकने के लिए बीएसएफ (BSF) को सीमा पर कड़ी निगरानी करनी होगी। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो केंद्रीय गृह सचिव से जवाब मांगा जा सकता है।

    IB, BSF को भी बनाया प्रतिवादी, नोटिस किया जारी

    अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक, बीएसएफ के डीजी, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और यूआईडीएआई के महानिदेशक को प्रतिवादी बनाया है। सभी को नोटिस जारी कर पक्ष रखने को कहा गया है।

    अदालत ने आईबी से सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश करने के लिए कहा है। राज्य और केंद्र सरकार को फिर से जवाब पेश करने के लिए कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को निर्धारित की गई है।

    6 जिलों का जिक्र, राज्य सरकार से जताई नाराजगी

    सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश के आलोक में छह जिलों देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों द्वारा जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने राज्य सरकार से भी कड़ी नाराजगी जताई है।

    कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जब संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए के आने की बात हो रही है, ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर अब तक जवाब क्यों नहीं दाखिल किया गया?

    राज्य सरकार औचक निरीक्षण और सत्यापन करे : हाई कोर्ट

    अदालत को बताया गया कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए फर्जी ढंग से आधार कार्ड और वोटर कार्ड बना रहे हैं। वहां की आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।

    अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि सरकार को संथाल परगना जैसे इलाकों में औचक निरीक्षण कर लोगों के आधार कार्ड एवं वोटर कार्ड का सत्यापन करना चाहिए, ताकि घुसपैठियों की पहचान हो सके।

    घुसपैठियों को तुरंत निकालना जरूरी, सरकारें मिलकर काम करें

    अदालत ने कहा कि झारखंड में घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें तुरंत निकालना जरूरी है, नहीं तो घुसपैठिए झारखंड आते रहेंगे। राज्य सरकार को झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस फोर्स को मजबूत कर घुसपैठियों को रोकना होगा।

    अदालत ने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार दोनों को देश एवं राज्य में घुसपैठ पर मिलकर काम करना होगा। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने संथाल परगना के छह जिलों के उपायुक्तों की बजाय कनीय अधिकारियों द्वारा शपथपत्र दाखिल किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी।

    कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास क्यों?

    अदालत ने कहा था कि कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है? अदालत ने देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों को दोबारा शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था।

    अदालत ने सभी उपायुक्तों को यह निर्देश दिया था कि आपसी सामंजस्य से बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को चिह्नित कर उन्हें वापस भेजने की एक कार्ययोजना तैयार कर काम करें।

    संबंधित जिलों के एसपी घुसपैठ का डाटा उपलब्ध कराने में उपायुक्तों को सहयोग करेंगे। मुख्य सचिव इन सभी की निगरानी करेंगे।

    बता दें कि इस संबंध में डेनियल दानिश ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें संथाल परगना के बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) से सटी सीमावर्ती के जिलों में लगातार हो रहे घुसपैठ को रोकने की मांग की गई है।

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