दैनिक जागरण की खबर पर हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, रांची में तारों के जाल पर सरकार से मांगा जवाब
झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची में बिजली के खंभों पर लटकते निजी केबल और इंटरनेट तारों के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि इन तारों से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है क्योंकि ये तार दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस तरलोक सिंह और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने दैनिक जागरण में छपी एक खबर का स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें बिजली के खंभों पर निजी केबल और इंटरनेट के झूल रहे तारों का मुद्दा उठाया गया था। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि इनसे निपटने के लिए क्या किया जा रहा है? मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
बता दें कि 8 अगस्त को दैनिक जागरण में 'व्यवस्था में नहीं हो रहा सुधार, खंभों पर निजी केबल आपरेटर और इंटरनेट के झूल रहे तार' शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। जिसमें सड़क के किनारे निजी केबल और इंटरनेट के तारों के जाल से होने वाले हादसे का मुद्दा उठाया गया है।
योजना कागजों तक सिमटी
रांची शहर में बिजली के खंभों पर लटके इंटरनेट, केबल और ब्राडबैंड के तार सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बन रहे हैं। इसके बावजूद बिजली विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। पिछले 10 से 12 वर्षों से शहर में बिजली के तारों को भूमिगत करने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन इस पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
बिजली विभाग की ओर से रोजाना नए खंभे लगाए जा रहे हैं, जबकि सभी तारों को भूमिगत करने की आवश्यकता है। यदि तारों के लिए भूमिगत रास्ता बनाया जाए, तो अवैध तारों का जाल स्वतः समाप्त हो जाएगा। विभाग का दावा है कि खंभों पर केवल चार तार लटकाने का आदेश है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अवैध तारों का जाल फैला हुआ है।
पुरुलिया रोड, हिनू रोड, कचहरी रोड और लालपुर रोड पर लोगों के पैरों और गले में तार फंसने से कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। रात में तारों का जाल दिखाई न देने से दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है। बिजली विभाग को लगातार इस समस्या की शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। विभाग ने अवैध तारों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन यूटिलिटी डक्ट बनाने में समय लग सकता है।
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