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    महिला सुपरवाइजर नियुक्ति मामले में हाई कोर्ट का निर्णय लंबित, राज्य सरकार ने क्या कहा...यहां जानें

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 06 Nov 2025 07:01 PM (IST)

    रांची हाई कोर्ट में महिला सुपरवाइजरों की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत यह तय करेगी कि क्या यह पद केवल महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा सकता है। राज्य सरकार का कहना है कि यह पद मातृ-शिशु कल्याण से जुड़ा है, इसलिए महिलाओं के लिए ही होना चाहिए, जबकि याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 100% आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

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    हाई कोर्ट में महिला सुपरवाइजरों की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर बहस पूरी होने के बाद निर्णय लंबित रखा गया है।

    राज्य ब्यूरो,रांची। हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में महिला सुपरवाइजरों की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। अदालत ने सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद निर्णय लंबित रखा है।

    अदालत महिला सुपरवाइजर का पद केवल महिला कैडर के लिए आरक्षित रह सकता है या नहीं, इस पर फैसला सुनाएगी। इस पद पर नियुक्ति पर लगी रोक को भी अदालत ने बरकरार रखा है।आकांक्षा कुमारी सहित अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई है।

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    सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि महिला सुपरवाइजर का पद विशेष रूप से महिला कैडर के लिए बनाया गया है, क्योंकि इसका कार्यक्षेत्र गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और मातृ-शिशु कल्याण से जुड़ा है।

    प्रार्थियों ने कहा कि किसी वर्ग को 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता

    देश के अन्य राज्यों में भी यही व्यवस्था लागू है। प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि किसी भी नियुक्ति में किसी वर्ग को 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इस भर्ती में केवल महिलाओं से आवेदन मांगे गए हैं, जो संविधान के प्रविधानों के विपरीत है।

    यह भी कहा गया कि जेएसएससी ने कुछ अभ्यर्थियों को यह कहते हुए अयोग्य ठहरा दिया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप नहीं है, जबकि नियुक्ति नियमावली में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।

    बता दें कि जेएसएससी ने बाल कल्याण विभाग में महिला सुपरवाइजर के 421 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। प्रार्थी भी इस परीक्षा शामिल हुए लेकिन आयोग की ओर से प्रार्थियों का चयन यह कहते हुए नहीं किया कि इनकी शैक्षणिक योग्यता विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप नहीं है।

    प्रार्थियों के पास विज्ञापन में निर्धारित मुख्य विषय की बजाय सहायक विषयों की डिग्री है। जबकि नियुक्ति नियमावली में ऐसा नहीं है। सुनवाई के दौरान यह मुद्दा भी उठाया गया कि नियुक्ति में किसी वर्ग को शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इसमें सिर्फ महिलाओं से आवेदन मांगा गया है।