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    हाईकोर्ट ने अधिकारियों को सेवा विस्तार देने से किया इंकार, कहा- यह नियम नहीं बन सकता

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 11:12 AM (IST)

    झारखंड हाईकोर्ट ने वन संरक्षक अधिकारियों को सेवा विस्तार देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। य ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने दो सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक अधिकारियों (एसीएफ) की एक साल की सेवा विस्तार देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नौकरी में विस्तार देना समाधान नहीं है और न ही इसे नियम बनाया जा सकता है।

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    हाई कोर्ट ने इस तरह के मांग को स्वीकार करने से इन्कार करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की तिथि से भलीभांति अवगत रहती है और उसे इसकी पहले से ही योजना बनानी चाहिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सेवानिवृत्ति से पहले ही राज्य सरकार को उस पद को भरने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए, जो कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से खाली होने वाली है।

    कोर्ट ने कहा कि इस मामले में राज्य ने पद भरने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवा विस्तार देकर कार्य जारी रखने की अनुमति दी है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को विस्तार देना संस्था के विकास के लिए ठीक नहीं है। इस संबंध में अविनाश कुमार परमार और अभय कुमार सिन्हा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

    जिसमें कहा गया था कि उनकी सेवाएं पहले ही एक जुलाई 2024 से 30 जून 2025 तक के लिए बढ़ाई जा चुकी हैं। उन्होंने राज्य के वन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें एक जुलाई 2025 से 30 जून 2026 के लिए भी अपनी सेवाओं विस्तार की तत्काल अनुमित प्रदान करें, जैसा कि अधिकारियों की ओर से अनुशंसा की गई है।

    सुनवाई के बाद अदालत ने स्पष्ट किया है कि अदालत किसी सेवानिवृत्त कर्मचारी को सेवा विस्तार देने का निर्देश नहीं दे सकती। किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार पाने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।