हेमंत सोरेन ने औचक निरीक्षण से दिया जमीनी संदेश, नगर निकाय चुनाव को साधने की तैयारी शुरू
रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का औचक निरीक्षण, आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए एक राजनीतिक संकेत है। बैलेट पेपर से होने वाले चुनावों के बीच, शहर की ...और पढ़ें
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बिना सुरक्षा के सड़कों पर निकले थे हेमंत सोरेन। (जागरण)
राज्य ब्यूरो, रांची। रांची में बिना सुरक्षा घेरे और पूर्व सूचना के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का औचक निरीक्षण महज एक प्रशासनिक गतिविधि नहीं, बल्कि आने वाले नगर निकाय चुनावों से पहले एक सशक्त राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
बैलेट पेपर से कराए जाने वाले निकाय चुनावों के एलान के बीच मुख्यमंत्री का अचानक सड़कों पर उतरकर शहर की व्यवस्थाओं का जायजा लेना, शहरी मतदाताओं और स्थानीय निकायों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने रांची के विभिन्न इलाकों में घूमकर साफ-सफाई, सड़क, नाली, ट्रैफिक, स्ट्रीट लाइट और नागरिक सुविधाओं की वास्तविक स्थिति देखी। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को मौके पर ही आवश्यक निर्देश दिए।
बिना काफिले के निरीक्षण ने न केवल प्रशासन को चौंकाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि सरकार जमीनी हकीकत से आंख नहीं चुरा रही है। निकाय चुनाव शहरी क्षेत्रों में सरकार की लोकप्रियता का पैमाना माने जाते हैं। झारखंड में शहरी मतदाता अक्सर स्थानीय मुद्दों जैसे जलजमाव, कचरा प्रबंधन, यातायात और बुनियादी सुविधाओं को लेकर मुखर रहते हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री का अचानक शहर की सड़कों पर उतरना यह दर्शाता है कि सरकार इन मुद्दों को गंभीरता से ले रही है और चुनाव से पहले किसी भी तरह की नाराजगी को पनपने नहीं देना चाहती।
फाइलों की बजाय फील्ड पर भरोसा
सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता इस औचक निरीक्षण को मुख्यमंत्री की कार्यशैली का स्वाभाविक विस्तार बता रहे हैं। उनके अनुसार, हेमंत सोरेन शुरू से ही फाइलों के बजाय फील्ड पर भरोसा करते रहे हैं। यह निरीक्षण इस बात का प्रमाण है कि सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि जवाबदेही और निगरानी के सिद्धांत पर काम कर रही है।
निकाय चुनाव में जनता विकास कार्यों और सरकार के जमीनी जुड़ाव को ध्यान में रखकर फैसला करेगी। प्रशासनिक स्तर पर भी इस निरीक्षण को एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, मुख्यमंत्री के अचानक दौरे से व्यवस्था की वास्तविक स्थिति सामने आती है और लापरवाही की गुंजाइश कम होती है।
इससे आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्रों में निगरानी और जवाबदेही बढ़ने की संभावना है। कुल मिलाकर, हेमंत सोरेन का औचक निरीक्षण निकाय चुनाव के संदर्भ में एक बहुआयामी संदेश देता है। जनता से सीधा संवाद, प्रशासन पर दबाव और राजनीतिक स्तर पर सक्रियता आवश्यक है।

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