Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंगल पर निर्भर जनजातियों पर हेमंत सरकार ने किया विचार, अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ; मिलेगा वनाधिकार पट्टा

    CM Hemant Soren झारखंड में राज्य सरकार ने वनों की रक्षा की दिशा में कदम उठाया है। इसके लिए अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ किया गया है जिसका श्रीगणेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे। जल जंगल जमीन अभियान के तहत ही अबुआ वीर दिशोम अभियान शुरू किया गया है। बता दें कि झारखंड के लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है।

    By Pradeep singhEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 06 Nov 2023 12:17 PM (IST)
    Hero Image
    जंगल पर निर्भर जनजातियों पर हेमंत सरकार ने किया विचार, अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ; मिलेगा वनाधिकार पट्टा

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में छह नवंबर से अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ करने की योजना राज्य सरकार ने बनाई है। आदिवासियों-मूलवालियों को जल, जंगल, जमीन अभियान के तहत यह योजना आरंभ की गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस योजना का श्रीगणेश करेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वनों पर निर्भर रहने वाली जनजातियों को इस योजना में वनाधिकार का पट्टा दिया जायेगा। जरूरतमंदों को वनाधिकार का पट्टा निजी और सामुदायिक स्तरों पर मिलेगा। इसकी मांग अर्से से चली आ रही थी। वनों की रक्षा की दिशा में इस प्रयास को मील का पत्थर बताया जा रहा है।

    अबुआ वीर दिशोम योजना

    झारखंड के लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है। इसमें विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। जंगल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। वे जंगलों, जंगली जानवरों और वनस्पति का भी संरक्षण करते हैं।

    सरकार का मानना है कि जंगलों की रक्षा स्थानीय स्तर पर लोगों को अधिकार देकर की जा सकती है। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए अबुआ वीर दिशोम योजना की शुरूआत की जा रही है।

    वनाधिकार समितियों का गठन कर निर्धारित होगा पट्टा

    अबुआ वीर दिशोम अभियान में अनुमंडल व जिला स्तर पर वनाधिकार समितियों का गठन किया गया है। यही समितियां वनाधिकार पट्टा के लाभुकों का निर्धारण करेंगी। समिति की अनुशंसा पर कार्य होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इस अभियान के लिए एप और वेबसाइट बनाई गई है।

    अबुआ वीर दिशोम अभियान का पहला चरण अगले माह दिसंबर में पूरा होगा। इन माध्यमों से इस बात की पूरी जानकारी मिलेगी कि किस जिले में कितनी वनाधिकार समितियां संचालित हो रही है और कौन-कौन ग्रामसभाएं सक्रिय है। इससे वनाधिकार का पट्टा देने के अभियान में तेजी के साथ-साथ पारदर्शिता भी आएगी।

    ये भी पढ़ें -

    दीवाली-छठ पर जाना है घर? लंबी दूरी की ट्रेनों में सीटें फुल, अब ये तरीका ही है एकमात्र सहारा

    द्रौपदी मुर्मू फिर से आएंगी ओडिशा, तैयारियां शुरू; राष्ट्रपति बनने के बाद दूसरी बार पहुंचेंगी अपनी मातृभूमि