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    'हेमंत सरकार कोई गाजर-मूली नहीं...', राष्ट्रपति शासन की मांग पर झारखंड में सियासी उबाल, JMM का बाबूलाल पर तीखा हमला

    By Pradeep singhEdited By: Shashank Shekhar
    Updated: Wed, 11 Oct 2023 08:58 PM (IST)

    Jharkhand Politics झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग पर सियासी बवाल मच गया है। सतारूढ़ झामुमो ने बाबूलाल मरांडी को जमकर घेरा है। झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधा और प्रहार करते हुए कहा कि हेमंत सरकार कोई गाजर-मूली नहीं है जिसे बाबूलाल मरांडी और राज्यपाल उखाड़ फेकेंगे।

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    'हेमंत सरकार कोई गाजर-मूली नहीं...', राष्ट्रपति शासन की मांग पर झारखंड में सियासी उबाल

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा संबंधी आग्रह पर सियासत तेज हो गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बुधवार को बाबूलाल मरांडी पर जमकर प्रहार किया।

    प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सरकार कोई गाजर-मूली नहीं है, जिसे बाबूलाल मरांडी और राज्यपाल उखाड़ फेकेंगे। बाबूलाल मरांडी अपनी संकल्प यात्रा की असफलता को देखकर बौखला गए हैं। उनके कार्यक्रम में ना जनता आ रही है न उनकी पार्टी के नेता।

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    राज्य के विकास को प्रभावित किया जा रहा- JMM

    झामुमो प्रवक्ता ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में पूरी तरह अकेले पड़ चुके हैं। देश की सारी केंद्रीय एजेसियां हेमंत सरकार को अस्थिर करने के काम में जुटी है। राज्य के विकास को प्रभावित किया जा रहा है। इन झंझावातों के बीच हेमंत सरकार निरंतर अपने काम में जुटी है।

    उन्होंने कहा कि यह सब देखकर बाबूलाल अपना आपा खो चुके हैं। बाबूलाल मरांडी अपने पत्रों में सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हैं। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि आखिरकार उनके सूत्र कौन हैं, जिसके आधार पर वे पत्र लिखकर दावे करते हैं।

    JMM ने राज्यपाल पर भी साधा निशाना

    इतना ही नहीं, सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे लेकर राज्यपाल पर भी निशाना साधा और कहा कि वे इसलिए ही यहां बैठे हैं कि उनसे राष्ट्रपति शासन की मांग की।

    झामुमो प्रवक्ता ने सुझाव दिया कि बाबूलाल मरांडी अपने सूत्रों से जानकारी प्राप्त कर लें कि कर्नाटक के एसआर बोंबई सरकार को अपदस्थ करने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि जो सरकार पूर्ण बहुमत में है, उसे अपदस्थ नहीं किया जा सकता।

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