Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झारखंड में मासूमों के दिल की सेहत खतरे में, 5 से 9 साल के बच्चों में बढ़ रही हृदय रोग की संभावना

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 07:01 PM (IST)

    एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 5 से 9 साल के 28.4% बच्चों में हृदय रोग का खतरा है क्योंकि उनमें उच्च ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर पाया गया है। हालांकि यह दर राष्ट्रीय औसत से कम है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि झारखंड में हाई कोलेस्ट्रॉल के मामले भी कम हैं।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड के पांच से नौ वर्ष आयु वर्ग के 28.4 प्रतिशत बच्चों में भविष्य में हृदय रोग होने की संभावना का अनुमान लगाया गया है।

    केंद्रीय सांख्यिकी एवं क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी 'भारत में बच्चे 2025' रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि यहां के इतने प्रतिशत बच्चों में उच्च ट्राइग्लसराइड्स है।

    यह रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा है जिसे निर्धारित मानक से अधिक होने पर भविष्य में ह्रदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

    राहत की बात है कि बच्चों में उच्च ट्राग्लिसराइड्स होने की दर राष्ट्रीय दर से कम है। पूरे देश में 34 प्रतिशत बच्चों के रक्त में यह वसा अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।

    रिपोर्ट के अनुसार, पांच से नौ वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में उच्च ट्राइग्लिसराइड्स की दर जम्मू-कश्मीर, बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे ज्यादा होने का अनुमान है।

    पश्चिम बंगाल में 67 प्रतिशत, सिक्किम में 64 प्रतिशत, नगालैंड में 55 प्रतिशत, असम में 57 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में 50 प्रतिशत बच्चों में ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर होने का अनुमान है। दूसरी तरफ, केरल और महाराष्ट्र क्रमशः 16.6 प्रतिशत और 19.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम व्यापकता वाले राज्यों में सम्मिलित हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बताते चलें कि यह रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 और व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2016-18 आदि के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों को संकलित कर तैयार की गई है।

    हाई कोलेस्ट्राल झारखंड के बच्चों में मध्य प्रदेश के बाद सबसे कम

    रिपोर्ट में झारखंड के लिए एक और राहत देने वाला आंकड़ा सामने आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में मध्य प्रदेश के बाद झारखंड और राजस्थान के सबसे कम बच्चों में हाई टोटल कोलेस्ट्राल है। इन दोनों राज्यों के में पांच से नौ वर्ष आयु वर्ग के 0.7 प्रतिशत बच्चों में ही यह समस्या है।

    मध्य प्रदेश में सबसे कम महज 0.3 प्रतिशत बच्चे इससे प्रभावित हैं। पूरे देश की बात करें तो इस आयु वर्ग के 3.7 प्रतिशत बच्चों में हाई कोलेस्ट्राल है।

    कितना होना चाहिए हाई ट्राइग्लिसराइड्स

    ट्राइग्लिसराइड स्तर आमतौर पर स्वस्थ वयस्कों के लिए 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमजी/डीएल) से कम, बच्चों और किशोरों (10-19 वर्ष की आयु) के लिए 90 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम होना चाहिए।

    यह 150 और 199 एमजी प्रति डीएल के बीच है तो यह बॉर्डर लाइन पर है। यह 200 और 499 एमजी प्रति डीएल के बीच है तो यह उच्च है। यह स्तर 500 एमजी प्रति डीएल से अधिक है तो काफी अधिक है।

    मक्खन, तेल एवं अन्य अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थ बड़ा कारण

    हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज रंजन के अनुसार, उच्च ट्राइग्लिसराइड्स के लिए मक्खन, तेल एवं अन्य अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग बड़ा कारण है।

    बच्चों में फास्ट फूड तथा अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन तेजी से बढ़ा है। यह हाई कोलेस्ट्राल का भी कारण है। उनके अनुसार, बच्चों को भविष्य में हृदय रोग का खतरा कम हो, इसलिए बच्चों को ऐसे खाद्य पदार्थों से बचाना चाहिए।