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    Supreme Court में हुई मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत पर सुनवाई, संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 07:40 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद पूर्व मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया अदालत के पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि प्रार्थी मनी लांड्रिंग में शामिल नहीं है।

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    पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत पर सात सितंबर को सुनवाई होगी।

    राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

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    मामले में अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है।

    11 जुलाई को हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को जमानत देने से इन्कार करते हुए कई टिप्पणी की थी।

    अदालत कहा था कि प्रथम दृष्टया अदालत के पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि प्रार्थी अपराध की आय कहे जाने वाले मनी लांड्रिंग में शामिल नहीं है। मामले में पर्याप्त सबूत हैं जो आलमगीर आलम की मनी लांड्रिंग में संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।

    कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट और विभिन्न अभियुक्तों व गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि आलमगीर आलम का नाम कई दस्तावेजों और डायरियों में कमीशन के हिस्सेदार के तौर पर दर्ज है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्थिक अपराधों में जमानत देने के मामले में अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा हैं।

    इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने आलमगीर आलम की ओर से दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि आलमगीर आलम का मामला अन्य आरोपितों से अलग है, क्योंकि वह एक सार्वजनिक व्यक्ति और मंत्री के तौर पर शीर्ष पद पर थे।

    आलमगीर आलम ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि वह निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है।

    उनके वकीलों ने तर्क दिया कि ईडी के पास कोई ठोस सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि आलमगीर आलम ने कमीशन लिया या उनके खातों में कोई रकम जमा हुई।

    उन्होंने अन्य सह-आरोपित वीरेंद्र राम को मिली जमानत के आधार पर समानता का हवाला भी दिया। लेकिन अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।