Health Condition: हाथी का दांत बना गढ़वा का सदर अस्पताल, इलाज के नाम पर मरीजों का होता है शोषण
Health Condition रेफर होने वाले मरीज निजी अस्पतालों या नीम-हकीमों के चंगुल में पड़कर आर्थिक दोहन के शिकार बन रहे हैं। जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं में हड्डी रोग से संबंधित मामले को देखते हुए हड्डी रोग विभाग को बेहतर बनाने की मांग उठने लगी है।

गढ़वा, जासं। जिले में हड्डी रोग के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होना मरीजों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में हड्डी फ्रैक्चर होने पर सरकारी अस्पतालों में आनेवाले मरीजों का रेफर कर दिया जाना परंपरा सी बन चुकी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की कौन कहे, जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में भी हड्डी रोग से संबंधित मरीजों के समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से रेफर होकर सदर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे हड्डी रोग के मरीजों को इलाज के नाम पर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्राथमिक उपचार ही मिल पाता है। रेफर होने वाले मरीज निजी अस्पतालों या नीम-हकीमों के चंगुल में पड़कर आर्थिक दोहन के शिकार बन रहे हैं। जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं में हड्डी रोग से संबंधित मामले को देखते हुए हड्डी रोग विभाग को बेहतर बनाने की मांग उठने लगी है।
सप्ताह में एक दिन ही बैठते हैं हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक
सदर अस्पताल में हड्डी रोग के दो चिकित्सक डा. एसके रमन व डा. सत्येंद्र रविदास पदस्थापित हैं। इनमें डा. सत्येंद्र रविदास उच्च शिक्षा के लिए अवकाश पर चले गए हैं। इस स्थिति में एकमात्र चिकित्सक डा. एसके रमन के भरोसे ही सदर अस्पताल में हड्डी रोग से संबंधित मरीजों का इलाज होता हड्डीरोग ओपीडी सिर्फ एक दिन ही चल रही है। इस स्थिति में भी हड्डी रोग विशेषज्ञ के ओपीडी बीच में छोड़कर गायब हो जाने के भी मामले चर्चा में रहते हैं। अस्पताल प्रबंधन इस पर लगाम लगाने में तो विफल रहा ही है। साथ ही हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से इमर्जेंसी व नाइट ड्यूटी, पोस्टमार्टम जैसे कार्य कराकर साप्ताहिक ड्यूटी का कोरम पूरा करा दिया जा रहा है। जबकि प्रत्येक दिन हड्डी रोग ओपीडी संचालित करने तथा हड्डी फ्रैक्चर के मरीजों के समुचित इलाज की व्यवस्था किए जाने की भी जरुरत है।
जिले में प्रतिदिन औसतन छह से 10 हड्डी फ्रैक्चर के आते हैं मामले
जिले में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं। इनमें हड्डी फ्रैक्चर के मामले भी प्रतिदिन सामने आते हैं। सदर अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले दुर्घटनाओं में घायल मरीजों के आंकड़े पर गौर करें तो औसतन छह से 10 घायल मरीज हड्डी फ्रैक्चर से संबंधित रहते हैं। फरवरी 2022 में सदर अस्पताल में 194 हड्डी फ्रैक्चर के मरीज आए हैं। लेकिन सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार ही हो पाता है। ओपीडी या इमर्जेंसी में बैठे चिकित्सक प्राथमिक उपचार के साथ रेफर लिख कर अपनी जवाबदेही से इतिश्री कर लेते हैं।
पक्ष
चिकित्सक की कमी है। इस कारण हड्डी रोग के मरीजों के लिए प्रतिदिन अलग से ओपीडी संचालित करना संभव नहीं है।
डा. कमलेश कुमार, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल, गढ़वा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।