सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में जेएसएससी सचिव को हाईकोर्ट का नोटिस, क्वालिफाइंग मार्क्स से जुड़ा है मामला
झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य नियुक्ति में आरक्षित श्रेणी के क्वालिफाइंग मार्क्स मामले में जेएसएससी सचिव को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जेएसएससी ने न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स 50% से कम होने के कारण कई आवेदन निरस्त कर दिए जबकि सरकार ने इसे 45% कर दिया था। अदालत ने जेएसएससी से जवाब मांगा है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में सहायक आचार्य नियुक्ति में आरक्षित श्रेणी के लिए न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स को लेकर दाखिल अवमानना मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने जेएसएससी के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। इस संबंध में कंचन डे सहित अन्य की ओर से हाईकोर्ट में अवमानना दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि पूर्व में आरक्षित श्रेणियों के अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य नियुक्ति में आवेदन करने के लिए न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स 50 प्रतिशत था, जबकि एनसीटीई के नियमावली के अनुसार यह 45 प्रतिशत है।
उस दौरान इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका के लंबित रहने के दौरान ही सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स 45 प्रतिशत कर दिया था। तब अदालत ने कहा था कि सरकार की अधिसूचना सभी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियो के मामले में लागू होगी।
हालांकि, नियुक्ति के लिए जारी प्रमाण पत्र के सत्यापन के दौरान जेएसएससी ने यह कहते हुए कई अभ्यर्थियों का आवेदन निरस्त कर दिया है कि उनका न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क 50 प्रतिशत से कम है, जैसा कि विज्ञापन में शर्त लगाई गई है।
प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि जेएसएससी द्वारा कोर्ट के पूर्व का आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इस पर अदालत ने जेएसएसससी सचिव को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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