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    लोगों को ठिठकने को मजबूर कर रहे गुलमोहर के फूल

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 08 May 2021 06:00 AM (IST)

    कोरोनाकाल के कारण लगाए गए आंशिक लॉकडाउन के कारण इन दिनों सड़कें तो शात हैं सड़क किनारे गुलमोहर के पेड़ में बहार आई हुई है।

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    लोगों को ठिठकने को मजबूर कर रहे गुलमोहर के फूल

    डकरा : कोरोनाकाल के कारण लगाए गए आंशिक लॉकडाउन के कारण इन दिनों सड़कें तो शात हैं, क्योंकि इन सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम ही है। पर, इन सड़कों के किनारे खड़े गुलमोहर के फूलों में बहार आई हुई। जो यहां से गुजरने वाले लोगों का अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां से गुजरने वाला एक बार जरूर ठिठककर इन फूलों की खूबसूरती देखता है।

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    चामा-खलारी के रास्ते लाल फूलों की चादर में लिपटे गुलमोहर के पेड़ लोगों को बरबस आकर्षित कर रहे हैं। सड़क के दोनों और कई जगहों पर गुलमोहर के पेड़ लगे हैं, जिनकी सुंदरता देखते ही बनती है। लोग इसे स्वर्ग का फूल भी कहते हैं। हालाकि, इसकी लकड़ी का प्रयोग नहीं के बराबर है। प्राकृतिक गुण के कारण इस पेड़ का अलग ही महत्व है। लोग इसकी सुंदरता के कारण इसे अपने आगन में भी लगाना पसंद करते हैं। गुलमोहर के फूल के औषधीय उपयोग भी कई प्रकार के हैं। इस समय गुलमोहर के पेड़ पर पत्तियां नहीं के बराबर होती हैं, परंतु फूल इतने अधिक होते हैं कि उनकी गिनती करना कठिन होता है। सूखी कठोर भूमि पर खड़े पसरी हुई शाखाओं वाले गुलमोहर पर पहला फूल निकलने के एक सप्ताह के भीतर ही पूरा वृक्ष गहरे लाल रंग के अंगारों जैसे फूलों से भर जाता है। गुलमोहर के फूलों से भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार भी किया जाता है, इसलिए धर्म परायण लोग वृक्ष को कृष्ण फूल भी कहते हैं। बसंत से गर्मी तक यानी मार्च-अप्रैल से लेकर जून-जुलाई तक गुलमोहर अपने ऊपर लाल नारंगी रंग के फूलों की चादर ओढ़े भीषण गर्मी को सहता हुआ देखने वालों की आखों में ठंडक का एहसास कराता है। गुलमोहर के पौधे की काफी माग है। आमतौर पर इसका पौधा पार्कों और बगीचों के अलावा घरों में भी लगाया जाता है। गुलमोहर का फूल पक्षाघात जैसे रोग में काम आता है। लोग जमीन पर गिरे इनके एकत्रित करके ले जाते हैं। प्रकृति प्रेमी अपने घरों में भी इसके फूल लगाते हैं।