राज्यपाल ने झारखंड में लाह बोर्ड के गठन का दिया संकेत, देश में सबसे ज्यादा लाह उत्पादक राज्य है झारखंड
राज्यपाल शनिवार को नामकोम स्थित भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान द्वारा आयोजित किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान कृषि अनुसंधान में लगे देश के पुराने संस्थानों में से एक है।

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि झारखंड में लाह आजीविका का बहुत बड़ा स्रोत है। वे लाह के विकास के लिए वे राज्य में लाह बोर्ड के गठन का प्रयास करेंगे। राज्यपाल शनिवार को नामकोम स्थित भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान द्वारा आयोजित किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान कृषि अनुसंधान में लगे देश के पुराने संस्थानों में से एक है। इस संस्थान को प्राकृतिक राल एवं गोंद के उत्पादन को प्रोत्साहित करने तथा प्रोसेसिंग द्वारा इनके उपयोग में बढ़ोतरी हेतु निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। भारत लाह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। हमारे देश में हर वर्ष लगभग 20 हजार टन लाख का उत्पादन होता है एवं इसका करीबन 65 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के विभिन्न देशों को निर्यात किया जाता है। वहीं, झारखंड देश का सबसे बड़ा लाह उत्पादन करने वाला राज्य है।
किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि राज्य में कुसुम, बेर एवं पलास बहुतायत में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका उपयोग लाख की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा है। किसानों को इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि वे भी एक किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने भी खेती की है। इसलिए वे किसानों की समस्याओं को जानते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को यह बताना होगा कि किस प्रकार की मिट्टी में कौन सी फसल अच्छी होगी। मिट्टी की जांच भी जरूरी है। इस अवसर पर सांसद संजय सेठ ने बताया कि झारखंड में केंद्र के सहयोग से टेक्सटाइल पार्क बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस संस्थान के सहयोग से सभी किसानों को प्रशिक्षित कर वैज्ञानिक तरीके से खेती के साथ-साथ लाह उत्पादन जुड़ने से किसानों को दोहरा लाभ पहुंचेगा। वहीं, संस्थान के निदेशक केवल कृष्ण शर्मा ने कहा कि संस्थान अखिल भारतीय कृषि परिषद के पुराने संस्थानों में एक है। साथ ही 2024 में यह अपनी 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर राज्यपाल ने लाह की खेती में उल्लेखनीय योगदान के लिए किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें चान्हो के रवि कुमार, स्मिता पंकज, प्रवीण कुमार, सरसंधु पाल तथा मो. शहनवाज शामिल हैं। मेले में 55 से अधिक स्टाल लगाए गए हैं। इस मेले में बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि से 500 लोगों ने हिस्सा लिया।
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