बंध्याकरण के बाद भी पैदा हुए बच्चे, मुआवजा देगी सरकार
महिला बंध्याकरण में वैसे तो गिने-चुने मामले ही असफल होते हैं। बंध्याकरण के बाद बहुत ही कम मामले में किसी महिला की मौत होती है। इसके बाद भी ऐसे मामलों में पीड़ित लाभुकों या आश्रितों को मुआवजा देने का प्रविधान है। इस प्रविधान के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान झारखंड ने 18.90 लाख रुपये मुआवजा की स्वीकृति प्रदान की है।

राज्य ब्यूरो, रांची। महिला बंध्याकरण में वैसे तो गिने-चुने मामले ही असफल होते हैं। बंध्याकरण के बाद बहुत ही कम मामले में किसी महिला की मौत होती है।
इसके बाद भी ऐसे मामलों में पीड़ित लाभुकों या आश्रितों को मुआवजा देने का प्रविधान है। इस प्रविधान के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड ने 18.90 लाख रुपये मुआवजा की स्वीकृति प्रदान की है।
जिन मामलों में दावा राशि की स्वीकृति प्रदान की गई है, उनमें नौ मामले असफल बंध्याकरण के हैं। इन सभी मामलों में 60-60 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है। बंध्याकरण के 14 मामले असफल हो गए अर्थात बंध्याकरण कराने के बाद भी बच्चा पैदा हो गया।
इनमें गिरिडीह जिला के चार, गढ़वा के दो, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम तथा साहिबगंज के एक-एक मामला सम्मिलित है। चार मामलों में महिला की मौत बंध्याकरण के बाद निर्धारित अवधि के भीतर हो गई।
ऐसे एक मामले में एक लाख रुपये तथा तीन मामलों में चार-चार लाख रुपये मुआवजा राशि आश्रितों को देने का निर्णय लिया गया। इनमें दो मामले लातेहार तथा दो गढ़वा के हैं।
गिरिडीह की एक महिला के बंध्याकरण के बाद स्वास्थ्य जटिलताएं हुईं, जिसके लिए 50 हजार रुपये मुआवजा राशि दी जाएगी।
इन सभी मामलों की जांच भी की जाती है तथा बंध्याकरण में चिकित्सक या नर्स की लापरवाही सामने आने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।
क्या है प्रविधान
महिला बंध्याकरण असफल होने पर 60 हजार रुपये की राशि मुआवजा के रूप में प्रदान की जाती है। पहले यह राशि 30 हजार रुपये ही थी, जिसे बढ़ाया गया है।
यह राशि परिवार नियोजन बीमा योजना के तहत दी जाती है, जिसका उद्देश्य बंध्याकरण के असफल होने पर लाभार्थियों को क्षतिपूर्ति प्रदान करना है।
बंध्याकरण के बाद महिला की तबीयत बिगड़ने या इंफेक्शन होने पर इलाज के लिए भी सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। मुआवजे का भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान से किया जाता है।
बंध्याकरण असफल होने पर दावों की जांच एक कमेटी करती है, जिसके बाद मुआवजा पर निर्णय लिया जाता है।
यदि बंध्याकरण के बाद एक सप्ताह के भीतर महिला की मृत्यु हो जाती है, तो चार लाख रुपये तक का मुआवजा देने का प्रविधान है। इसी तरह मृत्यु आठ से 30 दिनों के भीतर होती है तो एक लाख रुपये मुआवजा का प्रविधान है।
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