जीजा हों सरकार फिर साले क्यों न खेवनहार, भ्रष्टाचार के रुपये खपाने में अफसरों के साले की भूमिका महत्वपूर्ण, एसीबी की जांच में खुल रही पोल
भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकारियों के सालों की भूमिका सामने आ रही है। एसीबी की जांच में पता चला है कि भ्रष्टाचार के धन को ठिकाने लगाने में सालों का इस्तेमाल किया जाता है। एसीबी इस नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में शराब व जमीन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जांच में केवल अधिकारी ही नहीं, बल्कि उनके रिश्तेदार भी संलिप्त मिल रहे हैं।
अब तक दो आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की जांच में उनके सालों की भूमिका संदिग्ध मिली है। एसीबी की जांच जारी है। इन अधिकारियों के एक अधिकारी उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे व उनके बाद उसी विभाग के पूर्व सचिव मनोज कुमार हैं।
इन दोनों ही अधिकारियों के सालों की भूमिका जांच में संदिग्ध मिली है। निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे के साले शिपिज त्रिवेदी पर उनकी पत्नी स्वप्ना संचिता के साथ मिलकर शिक्षा के नाम पर ब्रह्मास्त्र एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से शेल कंपनी बनाकर काले धन को सफेद बनाने की कोशिश के आरोपों की पुष्टि हुई है।
दूसरे आइएएस अधिकारी पूर्व उत्पाद सचिव मनोज कुमार के साले अंशु पर जमशेदपुर, धनबाद आदि क्षेत्रों में मैनपावर आपूर्ति एजेंसियों के कर्मियों से एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री कराने व उसके एवज में लाखों की अवैध वसूली करने का आरोप है।
एसीबी अब आइएएस अधिकारी मनोज कुमार व उनके साले अंशु के बारे में भी जानकारी जुटा रही है। एसीबी को सूचना मिली है कि पूर्व की उत्पाद नीति में फर्जी बैंक गारंटी पर धनबाद में शराब की खुदरा दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने वाली प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में अंशु का भी शेयर था।
फर्जी बैंक गारंटी पर मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने की पुष्टि के बावजूद नहीं की कार्रवाई, फंसे पूर्व उत्पाद सचिव मनोज कुमार
इस एजेंसी पर फर्जी बैंक गारंटी पर मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने का आरोप है। इसकी पुष्टि के बावजूद पूर्व उत्पाद सचिव मनोज कुमार ने उक्त प्लेसमेंट एजेंसी को न तो ब्लैकलिस्ट किया था और न ही उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
इस एजेंसी पर जेएसबीसीएल को एग्रीमेंट के दौरान बंधन बैंक कोलकाता का पांच करोड़ दो लाख सात हजार 576 रुपये का फर्जी बैंक गारंटी देने के आरोपों की पुष्टि हुई थी। इसकी पुष्टि बंधन बैंक ने दो मार्च 2024 को विभाग को पत्र लिखकर किया था।
विभाग के संज्ञान में रहने के बावजूद पूर्व उत्पाद सचिव मनोज कुमार ने इस एजेंसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की थी। फिलहाल, दोनों ही रिश्तेदार शिपिज त्रिवेदी व अंशु की भूमिका की एसीबी जांच जारी है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।