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Make Small Strong: 15 वर्षों की मेहनत से ग्राहकों के लिए भरोसे का नाम बना सुधा मोटर्स

Google Make Small Strong झारखंड की राजधानी रांची के व्यापारी अभिषेक सिंह ने लॉक डाउन में मंद पड़े व्यवसाय को खड़ा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया। पिता के बताए रास्तों पर चलकर व्यावसायिक परेशानियों का मुकाबला किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 11:07 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 09:51 AM (IST)
Make Small Strong:  15 वर्षों की मेहनत से ग्राहकों के लिए भरोसे का नाम बना सुधा मोटर्स
रांची में सुधा मोटर्स की शुरुआत 2005 में हुई थी।

रांची (जागरण संवाददाता) । कोरोना संक्रमण ने पूरे व्यापार जगत के सामने बड़ी और गंभीर चुनौती खड़ी कर दी। कई लोगों ने मुश्किलों का डटकर सामना किया और व्यापार को बड़े आयाम पर पहुंचाया। कोरोना काल के बाद ग्राहकों की उम्मीदों पर खरा उतरना व्यापार में बड़ी चुनौती थी। रांची के व्यापारी अभिषेक सिंह ने लॉकडाउन के दौरान मंद पड़े व्यापार को खड़ा करने के लिए हरसंभव प्रयास किए।

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संक्रमण और लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बंद होने के कारण लोग निजी वाहन खरीदने के लिए अग्रसर हुए। ऐसे में अभिषेक ने मुश्किल दौर को अवसर में बदला। ग्राहकों को गाड़ी की जरूरत थी। वहीं उनकी जेब की हालत पतली थी। ऐसे में ग्राहकों के विश्वास और भरोसा का नाम बने मारुति शोरूम सुधा मोटर्स ने ग्राहकों के लिए अलग-अलग विकल्प दिए। वाहन की खरीद में आने वाली मुश्किलों को दूर करने में लोगों की भरपूर मदद की।

चाहे मामला फाइनेंस से जुड़ा हो अथवा खरीद के लिए किए जाने वाले डाउन पेमेंट का। अभिषेक ने ग्राहकों के साथ खड़े होकर उन परेशानियों में लोगों को अधिकतम सहूलियतें दीं। साथ ही व्यापार को नये आयाम पर पहुंचाया।

15 वर्ष में ग्राहकों के साथी बने

रांची रातू रोड में वर्ष 2005 में सबसे पहले सुधा मोटर्स की शुरुआत हुई। इसके बाद लगातार व्यापार प्रगति करता गया। वर्तमान में रांची में सुधा मोटर्स के दो शोरूम हैं। इनमें से एक मारुति का नेक्सा शोरूम है। अभिषेक ङ्क्षसह बताते हैं कि उनके पिता की दी गई सीख ने हमेशा उनके  व्यापार में मार्गदर्शन किया है।

उनके पिता भी पहले से अलग-अलग क्षेत्र के व्यापार से जुड़े हुए थे। मगर अब शोरूम के इस व्यवसाय में साथ हैं। उन्होंने हमेशा से ग्राहकों के साथ रिश्ते को तरजीह दी। हमेशा कहा है कि व्यापार रुपये-पैसे से नहीं, भरोसे और विश्वास से चलता है। शोरूम में ग्राहकों के सेल के साथ बेहतर सर्विस का ख्याल रखा जाता है। ग्राहक को न्यूनतम समय में अधिकतम सुविधाएं देने के लिए सभी कर्मचारी हमेशा तत्पर रहते हैं। समय-समय पर इसकी पड़ताल भी कराई जाती है। ग्राहक संतुष्टि की रिपोर्ट की नियमित निगरानी होती है। कोई भी ग्राहक शोरूम से निराश होकर वापस नहीं लौटे, इसका सबको ध्यान रखने के लिए कहा गया है। यही कारण है कि वर्ष 2013-14 में एमएसडीसी के द्वारा बेस्ट शोरूम का अवार्ड दिया गया।

इसके साथ शोरूम को कई अन्य सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। शोरूम के संचालन के दो वर्ष में ही इसे कंपनी द्वारा बेहतर परफार्मेंस के लिए गोल्ड बैंड दिया गया। वहीं तीसरे वर्ष में शोरूम को प्लैटिनम बैंड हासिल हो गया।

गाडिय़ों से लगाव के कारण खोला शोरूम

अभिषेक ने बताया कि उन्होंने इंग्लैंड के वाल्स इंस्टीट््यूट आफ कारडीफ से एमबीए किया। पढ़ाई के बाद वर्क एक्सपीरियंस के लिए दो वर्ष तक दिल्ली में वोडाफोन में काम किया। मगर मेरी गाडिय़ों में बड़ी दिलचस्पी थी। ऐसे में मैंने और मेरे भाई ने तय किया कि हम अपने व्यापार को एक नई दिशा देंगे। हमने पिता से बात की।

सबसे पहले वर्ष 2005 में बजाज टू व्हीलर का एक शोरूम खोला। शोरूम में ग्राहकों का रिस्पांस काफी अच्छा आया। बाद में वर्ष 2011 में मारुति द्वारा डीलर के लिए आवेदन मांगे गए। हमने भी आवेदन भेज दिया।

उसके बाद सबसे पहले रातू रोड में शोरूम खोला। गाडिय़ों का शो रूम खोलने के पीछे मेरा ऑटो सेक्टर से जुड़ा लगाव ही था। मैं शौकिया तौर पर भी गाडिय़ों से जुड़ी हुई अलग-अलग जानकारी रखता हूं। इसमें मेरी दिलचस्पी है।

व्यापार के साथ परिवार के लिए बनाई जगह

अभिषेक सिंह अपनी तीन पीढिय़ों के साथ संयुक्त परिवार में रहते हैं। मगर व्यापार के साथ परिवार के लिए अलग स्थान बनाकर रखते हैं। अभिषेक बताते है कि उनका परिवार ही उनकी कामयाबी का सबसे बड़ा कारण है। जो व्यक्ति अपने निजी जीवन में सफल नहीं हो सकता वह अपने व्यापार को कैसे स्थापित कर सकता है। मेरे पास अपने शोरूम और परिवार दोनों के लिए हमेशा वक्त रहता है। व्यवसाय लंबा-चौड़ा होने के बावजूद मैं तीनों केंद्रों के बारे में पल-पल की रिपोर्ट खुद रखता हूं। मुझे घूमना पसंद है। कई बार अपनी गाड़ी लेकर परिवार या दोस्तों के साथ दूर निकल जाता हूं। साथ ही ग्राहकों से रिश्ते कायम रखता हूं।


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