Ghatshila By-Election: मिशन घाटशिला के लिए 45% आदिवासी वोट पर दांव लगाएगी भाजपा, कुड़मी वोटरों पर फोकस
घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने सामाजिक समीकरणों को साधने की तैयारी की है। ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पार्टी सहयोगी दलों के साथ मिलकर वोटों के बिखराव को रोकने का प्रयास कर रही है। भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाकर और आदिवासी समाज पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाकर चुनाव लड़ेगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सामाजिक समीकरण साधने की तैयारी की है। घाटशिला में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 45 प्रतिशत है, जबकि 46 प्रतिशत आदिवासी हैं। ओबीसी में कुड़मी और वैश्य मतदाताओं की संख्या प्रमुखता से है।
भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू और जदयू दोनों घाटशिला में पार्टी प्रत्याशी को पूर्ण समर्थन देने की बात कह चुके हैं। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार का अंतर 22 हजार वोटों का था और जयराम महतो की पार्टी के प्रत्याशी को आठ हजार वोट मिले थे।
इस बार भाजपा ओबीसी मतदाताओं में बिखराव रोकने का प्रयास कर रही है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो और आजसू प्रमुख सुदेश महतो घाटशिला के कुड़मी मतदाताओं को भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराने के लिए कैंप करेंगे, जबकि प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू वैश्य मतदाताओं के समक्ष पार्टी का पक्ष मजबूत करेंगे।
लोजपा के सहारे भाजपा चार प्रतिशत दलित मतों को साथ लाने का प्रयास करेगी। पार्टी को उम्मीद है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के प्रभाव से आदिवासी मतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी उसे मिलेगा।
सबका साथ मिलने का पार्टी का दावा
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू का कहना है कि भाजपा घाटशिला में होने वाले उपचुनाव को राज्य सरकार में चल रहे लूट और भ्रष्टाचार से जोड़कर लड़ेगी। आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा भी उठाया जाएगा।
प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का कहना है कि घाटशिला में मतदाता राज्य सरकार को सबक सिखाएंगे। झूठे वादे करने वाली सरकार को उपचुनाव में जनता जबाव देगी।
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